कोरबा में महिलाओं की तिकड़ी ने छुड़ाए कोरोना के छक्के
कोरबा। कोरोना वैश्विक महामारी के आगे जहां एक ओर सुविधा संपन्न् बड़े शहरों की भारी भरकम व्यवस्था चरमरा गई, वहीं छत्तीसगढ़ का एक गांव ऐसा भी है, जहां दूसरी लहर में भी कोरोना से एक भी ग्रामीण संक्रमित नहीं हुआ।
यहां नारी शक्ति ने मोर्चा संभालते हुए प्रशासनिक कार्रवाई का इंतजार किए बिना तगड़ी घेराबंदी की। वर्तमान स्थिति में संक्रमण की तीव्रता शहर से गांवों की ओर रुख कर रही है। पर जागरूकता और अनुशासन की वजह से इस गांव की सरहद तक को कोरोना छू न सका।
जागरण की अलख जगाता यह गांव कोरबा जिला मुख्यालय से 23 किलोमीटर दूर बसा पुरेनाखार है। यहां की आबादी करीब 1,300 है। जब पूरा प्रशासनिक अमला संक्रमण रोकने शहर में ताकत झोंक रहा था, तब यहां की महिला सरपंच ज्ञानेश्वरी तंवर लोगों की जान बचाने ग्राम पंचायत स्तर पर बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने जैसे कई अहम कदम उठाए।
उनका साथ देने गांव की शिक्षिका गुलेश्वरी साहू व मितानिन अनिता यादव भी कमर कस मैदान में उतर आईं। महिलाओं की इस तिकड़ी ने सबसे पहले गांव के बुजुर्गों को कोरोना से बचने की सावधानियां समझाने का निर्णय लिया। ज्ञानेश्वरी ने कहा कि आज भी गांव में बुजुर्गों की अपनी अलग अहमियत है, जिनकी बातों को नई पीढ़ी नजर अंदाज नहीं करती, इसलिए उनसे ही शुरुआत की गई।
फिर गर्भवती महिलाओं व बच्चों के घर से बाहर निकलने पर रोक लगाई गई। कुछ युवकों की टोली बनाई जो दिन-रात गांव की सरहद पर बाहरी आवागमन की निगरानी करती है।
पड़ोस की दो पंचायतें कंटेनमेंट जोन
महिलाओं की टीम के लिए यह लड़ाई आसान न थी। पड़ोस की दो पंचायतें मड़वामौहा व धनरास में 100 से अधिक लोग संक्रमित मिले। वहां कंटेनमेंट जोन बनाने पड़े। पर जागरूकता व अनुशासन का दामन थामे पुरेनाखार कोरोना को मात देने सफल रहा। पंचायत स्तर पर बरती गई इस सतर्कता की सराहना जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार भी कर रहे हैं।
टीकाकरण भी शत-प्रतिशत
महिलाओं की टीम यह भली भांति जानती है कि जब तक शत-प्रतिशत टीकाकरण नहीं होगा, कोरोना से पूरी तरह हम नहीं जीतेंगे। गांव में संक्रमण को प्रवेश नहीं करने देने व स्थाई रूप से इससे लड़ने के लिए सभी को टीका लगाने का लक्ष्य तैयार कर जागरूकता अभियान चलाया। यहां रहने वाले सभी 45 प्लस के 350 (शत-प्रतिशत) लोगों को टीका लग चुका है। 18 प्लस का टीकाकरण जारी है।