हाई कोर्ट ने कहा राज्य में जिम खोलने पर 15 दिन में करो विचार, मुख्य सचिव को दिया निर्देश
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि प्रदेश में जिम खोलने के अभ्यावेदन पर कोविड प्रोटोकाल के अनुसार विचार कर 15 दिन में आदेश पारित करे। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पाल की युगलपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा मुख्य सचिव के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जाएगा। मुख्य सचिव अभ्यावेदन पर पारित आदेश से याचिकाकर्ता को भी अवगत कराएंगे।
राइट टाउन जबलपुर निवासी एवं जिम ऑनर्स एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. प्रशांत मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना की दूसरी लहर में हुए लॉकडाउन में प्रदेश के लगभग पांच हजार जिम बंद है। याचिका में कहा गया कि जिम में कसरत करने से इम्युनिटी बढ़ती है। इससे लोग स्वस्थ रहते हैं। ऐसे में लाॅकडाउन के दौरान जिम को बंद रखना उचित नहीं है।
याचिका में कहा गया कि कोरोना की पहली लहर के बाद जिम खोले गए थे। उस दौरान पूरे प्रदेश में एक भी ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिला है, जब किसी जिम से कोरोना का संक्रमण फैला हो। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसके पांडे ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए जिम खोलने की अनुमति दी जाए। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने मुख्य सचिव को प्रदेश में जिम खोलने के अभ्यावेदन पर विचार कर 15 दिन में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित को 10 साल की सजा : पाटन के अपर सत्र न्यायाधीश आरबी यादव की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित ब्रजेश गौड़ को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने आरोपित पर एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।अभियोजन के अनुसार 20 फरवरी 2018 को पाटन के ग्राम नोनी निवासी ब्रजेश गौड़ ने रात 10 बजे नाबालिग किशोरी का अपहरण किया। इसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया। नाबालिग की शिकायत पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक संदीप जैन ने तर्क दिया कि आरोपित ने नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस मामले में उसे कठोर कारावास से दंडित किया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपित को 10 साल की सजा और एक हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।