ब्रेकिंग
भाटापारा नगर ब्राह्मण समाज के युवाओं द्वारा, भाटापारा ब्राह्मण युवा शाखा का गठन किया गया, अभिषेक उपाध्याय को सर्व सम्मती से अध्यक्ष मनोनीत किया गया ब्राह्मण समाज के युवाओं द्वारा, भाटापारा ब्राह्मण युवा शाखा का गठन किया गया विधायक इंद्र साव ने किया मतदान कहा लोगो का आज भी लोकतंत्र पर है विश्वास विधायक इंद्र साव के नेतृत्व में निकली रैली में उमड़ा जन सैलाब विधानसभा चुनाव से ज्यादा की मिलेगी इस बार लीड :-इंद्र साव भाटापारा शहर पुलिस द्वारा संतमाता कर्मा वार्ड भाटापारा में घटित अंधेकत्ल के मामले का 24 घंटे के भीतर किया गया पर्दाफाश भाटापारा शहर पुलिस द्वारा आनलाईन क्रिकेट सट्टा का संचालन करने वाले 03 आरोपियों को किया गया गिरफ्तार बृजमोहन अग्रवाल ने भाटापारा नगर में रोड शो कर जनता से भाजपा के लिए वोट मांगे कांग्रेस की राजनीति का उद्देश्य युवराज को लांच कर परिवार के लिए सत्ता का उपयोग करना है -मुख्यमंत्री विष्णु देव साय। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा न... बृजमोहन अग्रवाल का जन्मदिन माता देवालय वार्ड तालाब समीप में झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ ने वार्डवासियों के साथ मनाया रायपुर लोकसभा में इस बार भाजपा का तिलस्म टूटेगा,विकास उपाध्याय की होगी अच्छी जीत:- भूपेश बघेल

रेडिएशन से किस्म सुधारकर बढ़ा रहे उपज, मूल गुणों में केवल दो से चार फीसद ही बदलाव

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि विज्ञानी किसानों की आमदनी बढ़ाने में लगे हुए हैं। इसके लिए फसलों की किस्मों में रेडिएशन (विकिरण) के माध्यम से सुधार करके इनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। पांच साल में आठ बार नई किस्मों को खेतों में लगाया जाता है, इसके बाद इनके बेहतर परिणामों को देखकर किसानों को बीज दिया जाता है। कृषि विज्ञानियों ने दावा किया है कि किसी भी फसल के किस्म में सुधार के बाद उनके मूल गुणों में केवल दाे से चार फीसद ही बदलाव हो रहा है।

रेडिएशन का कोई हानिकारक प्रभाव भी नहीं है। साथ ही किसान सीधे इन किस्मों के बीज को सुरक्षित रख सकते हैं। कृषि विवि ने भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर मुंबई की मदद से रेडिएशन टेक्नालाजी के जरिए धान के विभिन्न पांच किस्मों समेत बरवटी, मटर की किस्मों में सुधार किया गया है ।

आठ पीढ़ी के बाद किस्म आती है किसानों के पास

भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर, मुंबई के वैज्ञानिकों में डा. वीके दास और डा. विकास कुमार ने बताया कि किस्म सुधार के दौरान जब बीज पर रेडिएशन डालते हैंं तो बीज के डीएनए में कुछ जीनोम बदल जाते हैं। बदलाव इसलिए होते हैं क्योंकि रेडिएशन डालने पर इनके टुकड़े हो जाते हैं। इनका अरेजमेंट बदल जाता है। यही बदलाव हमको पौधों के गुणों में परिवर्तन के रूप में देखने को मिलता है।

यदि किसी पौधे की ऊंचाई छोटी करनी है इसके इससे संबंधित जीन में रेडिएशन देेते हैं तो इसमें बदलाव हो जाता है। डेढ़ से दो लाख पौधे एक साथ लगाते हैं और इनमें जो अच्छे गुण वाले हो हैं, उन्हें आठ पीढ़ी तक खेत में लगाते हैं ताकि उसके गुण स्थिर हो जाएं तभी इसे किसानों के लिए देते हैं।

अन्य किस्मों में होगा सुधार

कृषि विवि के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर डा. दीपक शर्मा के मुताबिक कृषि विज्ञानी अभी हरा, चना काला चना, अरहर, तिलहन फसलों में मूंगफली, सरसों, अलसी, तिल, कुसुम, राम तिल, नकदी फसल, गन्ना और बागवानी फसलों – हल्दी, लौकी, फूलों वाली फसलों में सुधार करने में लगे हैं।

मूल फसलों से बनीं उन्नत किस्मों से बढ़ा उत्पादन

किस्म समय ऊंचाई उत्पादन क्विंटल में

नगरी दूबराज 150 दिन 150 सेमी 30-32 प्रति हेक्टेयर

दूबराज उन्नत 120 दिन 120 सेमी 40-45 प्रति हेक्टेयर

सफरी – 17 150 दिन 150 सेमी 40-45 प्रति हेक्टेयर

सफरी-17 उन्नत 120 दिन 107 सेमी 60-65 प्रति हेक्टेयर

सोनागांठी 155 दिन 120 सेमी 45-50 प्रति हेक्टेयर

ट्रांबे सोनागांठी 140 दिन 116 सेमी 62-65 प्रति हेक्टेयर

केस 01: नगरी दूबराज से बढ़ रही आमदनी

नगरी दूबराज की नई किस्म की धान को तैयार करने में अब 150 की बजाय 120 दिन लग रहा है। प्रति हेक्टेयर 10 से 15 क्विंटल अधिक उत्पादन हो रहा है। धमतरी के किसान इसकी खेती कर रहे हैं।

केस 02

कृषि विज्ञानियों ने विष्णु भोग की मूल धान की किस्म में सुधार करके उन्नत किस्म ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णु भोग म्यूटेंट नाम दिया है। बिलासपुर के किसान नई किस्म से खेती कर रहे हैं।

वर्जन

प्रदेश में अभी 150 फसलों की मूल किस्मों में सुधार कार्य किया जा रहा है। आने वाले समय में नई उन्नत किस्में किसानों के उत्पादन बढ़ाने में कारगर होगी।

– डा. एसके पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर