मजहब देखे बगैर इंसानियत बचाने के लिए लोग डोनेट करें प्लाज्मा : इमाम इलयासी
गाजियाबाद। रमजान का पाक महीना चल रहा है। वहीं, पूरा मुल्क कोरोना जैसी बीमारी से जूझ रहा है। इन हालात में सबसे ज्यादा एक दूसरे की मदद करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इबादत इसी का नाम है कि हम दूसरों के काम आएं दूसरों का भला करें। कोरोना की चपेट में आकर उबर चुके लोग मजहब देखे बगैर इंसानियत बचाने के लिए प्लाज्मा डोनेट करें। वहीं, अहतियात के तौर पर आक्सीजन सिलेंडर जमा करने वाले जरूरतमंदों को दें, जो सदका-ए जारिया है।
मंगलवार को अखिल भारतीय इमाम संगठन मुख्य इमाम डाॅ. इमाम उमेर अहमद इलयासी ने संजयनगर में डाॅ. मोइनुद्दीन के यहां दैनिक जागरण से विशेष वार्ता की। उन्होंने कहा कि ईद चांद दिखाई देने के बाद 13 या 14 मई की होगी। रमजान का महीना है कोरोना के हालात से सभी वाकिफ हैं। रमजान में साहिब-ए हैसियत मुसलमानों पर ढ़ाई फीसदी जकात फर्ज है। जकात को सही जगह और सही लोगों तक पहुंचाएं। जकात के लिए पहले अपने रिश्तेदार, पड़ौसी और मोहल्ले और बाद में ऐसे जरूरतमंद लोगों को तलाश करें, जिनको इसकी बेहद जरूरत है। ताकि उनके हालात बेहतर किए जा सकें
उन्होंने कहा कि जो लोग इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं उनके लिए अल्लाह से दुआ करें और जो कोरोना से उबर चुके हैं वह किसी की जिंदगी बचाने के लिए अपना पलाज्मा डोनेट करें। आपके प्लाज्मा देने से किसी की जान बचती है वह किसी भी मजहब का हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें इंसानियत को बचाना है।
पूरे मुल्क के अंदर जो हालात हैं उसमें हम सभी मिलकर कोरोना वायरस से लड़ेंगे इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। रमजान के मुबारक मौके पर हम सब मिलकर जब दुआ करते हैं तो इसके नतीजे बेहतर ही आते हैं।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आक्सीजन सिलेंडर आने वाली मुसीबत को देखते हुए घरों में रख लिए हैं। कि कल अगर बीमार होंगे तो जरूरत में काम आएंगे। अल्लाह न करे किसी को इसकी जरूरत पड़े। ऐसे लोगों से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि अगर आपमें से किसी के पास आक्सीजन सिलेंडर हो तो जरूरतमंद को दीजिए, जो सदका माना जाएगा। आज खुद भी बचें और दूसरों को भी बचाएं। यही सबसे बड़ी इबादत है।
ईद की नमाज घरों में अदा करें
मुख्य इमाम डॉ. उमेर अहमद इलयासी ने कहा कि रमजान का महीना खत्म होने वाला है। मेरी तमाम मुसलमानों से अपील है कि ईद की नमाज सरकार की ओर से कोविड-19 के तहत जारी गाइडलाइन के मुताबिक ही अदा करें। जैसे पिछले साल ईद की नमाज अपने घर के अंदर अदा की थी। घर में पढ़ी जाने वाली नमाज नमाज-ए चाश्त होगी। इसे अदा करें और खूब-खूब दुआएं करें।