ब्रेकिंग
ग्राम दामाखेड़ा आश्रम :- घटना में शामिल 16 आरोपियों की गिरफ्तारी एवं 01 किशोर बालक के विरुद्ध विधिवत कार्रवाई ग्राम दामाखेड़ा आश्रम:- घटित घटना में शामिल 16 आरोपियों की गिरफ्तारी एवं 01 किशोर बालक के विरुद्ध विधिवत कार्रवाई हटिया विधान सभा में कॉंग्रेस की जीत सुनिश्चित हो रही है-सुशील शर्मा जिला बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस द्वारा अवैध रूप से डंप किया गया भारी मात्रा में शराब का जखीरा किया गया बरामद थाना हथबंद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम केसदा मे... क्षेत्रीय विधायक इन्द्र साव ने रावणभाठा स्थित दशहरा मैदान के मुख्यमंच से नगर वासियों और क्षेत्रवासियो को विजयादशमी पर्व की बधाई दी विधायक इंद्र साव के प्रयास से भाटापारा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा विधायक के प्रस्ताव को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी स्वीकृति सुशील शर्मा को आगामी झारखंड प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने हटिया विधान सभा क्रमांक 64 का पर्यवेक्षक नियुक्त किया जिला बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस द्वारा रोड में खड़ी ट्रकों के पहिए चोरी करने वाले गिरोह का किया गया पर्दाफाश पुलिस द्वारा ट्रकों के पहिए व बैटरी जैक च... खड़ी ट्रैकों में हो रही लगातार चोरी से परेशान भाटापारा ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा विरोध प्रदर्शन पद यात्रा करते हुए शहर थाने में ज्ञापन सौंपा गया भाटापारा में ब्राउन शुगर का कारोबारी गिरिफ़्तार,ड्रग्स विभाग निष्क्रिय,युवाओं का भविष्य अंधकार में ,गृह मंत्री त्यागपत्र देवे—सुशील शर्मा

ज्ञान और बुद्धि का आशीष देते हैं प्रभु विश्वकर्मा

आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर और वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि को सजाने संवारने के लिए उत्पन्न किया। इस दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही कारखानों में औजारों की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा पवित्र आत्मा में बसते हैं। वह ज्ञान के साथ बुद्धि भी प्रदान करते हैं।
मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, सोने की लंका, जगन्नाथपुरी का निर्माण किया। भगवान विश्वकर्मा वास्तु देव के पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा महान ऋषि और ब्रह्मज्ञानी हैं। उन्होंने ही देवताओं के घर, नगर और उनके अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया। भगवान विश्वकर्मा ने ही कर्ण का कुंडल, भगवान श्री हरि विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, भगवान शिव का त्रिशूल, यमराज का कालदंड आदि का निर्माण किया। उन्होंने महर्षि दधिचि की हड्डियों से दिव्यास्त्रों का निर्माण किया। प्रभु विश्वकर्मा का स्वरूप विराट है, इसीलिए उनको विराट विश्वकर्मा भी कहा जाता है। इनकी आराधना से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आगमन होता है। कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है।
भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिवस पर उनकी प्रतिमा को विराजित कर पूजा की जाती है। कल-पुर्जों को भगवान विश्वकर्मा का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। इस दिन यज्ञ का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान श्री हरि विष्‍णु का ध्‍यान करें। इसके बाद एक चौकी पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्‍वीर रखें। अपने दाहिने हाथ में फूल, अक्षत लेकर उनका स्मरण करें और अक्षत को चारों ओर छिड़क दें। फूल को जल में छोड़ दें। हाथ में रक्षासूत्र मौली या कलावा बांधें। भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करने के बाद उनकी विधिव‍त पूजा अर्चना करें। पूजा के बाद औजारों और यंत्रों को जल, रोली, अक्षत, फूल और मि‍ठाई से पूजें, विधिव‍त हवन करें।