Dhanteras 2022: धनतेरस पर जरूर पढ़ें यह धन्वंतरी स्तोत्र, सालभर नहीं रहेगी धन की कमी
धनतेरस पर धन्वंतरी स्तोत्र का खासा महत्व होता है. धन्वंतरी स्तोत्र के जाप से मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और घर धन-धान्य से भर जाता है. इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर शनिवार को है. आइए जानते हैं धन्वंतरी स्तोत्र के बारे में.
Dhanteras 2022: दीपावली के पर्व की शुरुआत धनतेरस के साथ हो जाती है. इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर शनिवार को है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की विशेष उपासना की जाती है. कहते हैं धनतेरस पर खरीदी गईं चीजें बेहद शुभ होती हैं. धनतेरस पर सोने व चांदी के सिक्कों की खरीदी सबसे अधिक शुभ व फलदायी मानी गई है. लेकिन इनके अलावा शास्त्रों में धनतेरस के ऐसे उपाय भी बताए गए हैं, जिनको अपनाकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं. धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है. उनकी कृपा से धन, दौलत के साथ उत्तम सेहत भी प्राप्त होती है.
धन्वंतरी स्तोत्र का जाप
पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, धनतेरस पर धन्वंतरी स्तोत्र का खासा महत्व होता है. धन्वंतरी स्तोत्र के जाप से ना सिर्फ मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं, बल्कि उनकी कृपा से सालभर कभी भी धन की कमी नहीं होती. धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी उत्पन्न हुए थे. मान्यता है कि धनतेरस की रात्रि जो भीधन्वंतरी भगवान की पूजा करता है, उसके घर धन का अभाव नहीं रहता. धनतेरस पर धन्वंतरी स्तोत्र का जाप करने से घर धन-धान्य से भर जाता है. इससे घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है और घर की तिजोरी सदैव भरी रहती है.
धन्वंतरी स्तोत्र
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
ऐसे करें धन्वंतरी स्तोत्र का जाप
ज्योतिषियों के अनुसार, धनतेरस पर शाम को उत्तर दिशा में पूजा के लिए चौकी तैयार करें. चौकी पर भगवान कुबेर, धन्वंतरी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धन्वंतरी भगवान को पीली वस्तु से बनी मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद गणेश जी व लक्ष्मी जी की पूजा कर आरती करें. फिर धन्वंतरी स्तोत्र का पाठ करना शुरू करें. अंत: सभी देवताओं का आशीर्वाद लेकर सुख-समृद्धि की कामना करें.