ब्रेकिंग
किसानों से लिया जा रहा है 300 से 400 सो ग्राम ज्यादा धान::- इंद्र साव बारदाना की कमी से जूझ रहा किसान, ना पीने का पानी,ना सर ढकने के लिए छत ग्राम दामाखेड़ा आश्रम :- घटना में शामिल 16 आरोपियों की गिरफ्तारी एवं 01 किशोर बालक के विरुद्ध विधिवत कार्रवाई ग्राम दामाखेड़ा आश्रम:- घटित घटना में शामिल 16 आरोपियों की गिरफ्तारी एवं 01 किशोर बालक के विरुद्ध विधिवत कार्रवाई हटिया विधान सभा में कॉंग्रेस की जीत सुनिश्चित हो रही है-सुशील शर्मा जिला बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस द्वारा अवैध रूप से डंप किया गया भारी मात्रा में शराब का जखीरा किया गया बरामद थाना हथबंद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम केसदा मे... क्षेत्रीय विधायक इन्द्र साव ने रावणभाठा स्थित दशहरा मैदान के मुख्यमंच से नगर वासियों और क्षेत्रवासियो को विजयादशमी पर्व की बधाई दी विधायक इंद्र साव के प्रयास से भाटापारा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा विधायक के प्रस्ताव को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी स्वीकृति सुशील शर्मा को आगामी झारखंड प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनाव में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने हटिया विधान सभा क्रमांक 64 का पर्यवेक्षक नियुक्त किया जिला बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस द्वारा रोड में खड़ी ट्रकों के पहिए चोरी करने वाले गिरोह का किया गया पर्दाफाश पुलिस द्वारा ट्रकों के पहिए व बैटरी जैक च... खड़ी ट्रैकों में हो रही लगातार चोरी से परेशान भाटापारा ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा विरोध प्रदर्शन पद यात्रा करते हुए शहर थाने में ज्ञापन सौंपा गया

इसलिए चढ़ाए जाते हैं नारियल और नींबू 

आदिकाल से ही दुनिया के लगभग सभी धर्मों में बलि देने की प्रथा मौजूद रही है हालांकि ईश्वर भाव का भूखा होता हैं। आजतक किसी ने भगवान को कभी किसी वस्तु का उपभोग करते हुए नहीं देखा है। भारत में भी कई जगहों पर देवी देवताओं को जानवरों की बलि दी जाती रही है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि बलि क्यों दी जाती हैं? ऐसा नहीं है कि बलि देने से भगवान प्रसन्न होते हैं न ही भगवान उस बलि के जानवर का उपभोग करेंगे। इसका मूल कारण तंत्र में छिपा हुआ है। इस प्रथा को समझने के लिए सबसे पहले हमें तंत्रशक्ति का अध्ययन करना होगा क्योंकि बलि की शुरुआत तंत्र में ही हुई है। हर देवी-देवता के लिए अलग-अलग ध्वनियां विकसित की गई, उनके साथ कुछ विशेष विधि-विधानों को जोड़ा, उन्हें ऊर्जा से परिपूर्ण करने के लिए कुछ प्रयोग किए।
तंत्र के अनुसार एक ऊर्जा को दूसरी ऊर्जा को बदला जा सकता है और उससे मनमाना काम लिया जा सकता है। ऊर्जा आपको किसी से भी मिल सकती है, चाहे वो एक नींबू हो या जानवर। इनकी बलि देकर इनकी जीवन ऊर्जा को मुक्त कर दिया जाता है और फिर उसी ऊर्जा को नियंत्रित कर उससे मनचाहा कार्य किया जा सकता है। मां काली तथा भैरव के मंदिरों में दी जाने वाली बलि इसी का उदाहरण है। वहां जीवों की ऊर्जा को मुक्त कर उसे नियंत्रित किया जाता है और उससे तांत्रिक शक्तियॉ प्राप्त की जाती है। परन्तु इस तरह करने में सबसे बड़ी बाधा यह है कि जब तक आप बलि देते रहेंगे, आपकी ऊर्जा और शक्तियॉ  बनी रहेंगी, जब भी बलि नहीं दी जाएगी, उनकी शक्तियॉ खत्म होनी आरंभ हो जाएगी और एक दिन वो आम आदमी की तरह बन जाएंगे। इसीलिए तांत्रिक अनुष्ठान करने वाले नियमित रूप से बलि देते हैं।
अघोर पर लिखी पुस्तक में भी एक ऐसा उदाहरण मिलता है जब एक तांत्रिक ने नरबलि देने के लिए कुछ आत्माओं को वश में किया और फिर मां काली को उनकी बलि चढ़ाई थी। यह भी ऊर्जा के परिवर्तन का ही एक उदाहरण है। इस प्रक्रिया से उन प्रेतात्माओं की मुक्ति का मार्ग भी खुलता है। मंदिरों में नारियल फोड़ना या नींबू की बलि देना भी इसी का एक उदाहरण है। नारियल और नींबू में मौजूद जीवनउर्जा को मुक्त कर उसे अपने देवता को समर्पित किया जाता है ताकि वो अन्य कार्यों में इस ऊर्जा का उपयोग कर सकें।