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एक जुर्म की दो बार मिली सजा, डीजीपी दरबार में सुनवाई के बाद निपटा मामला

रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर को एक जुर्म के लिए दो बार सजा मिल गई। करीब एक साल भटकने के बाद सब इंस्पेक्टर अशोक द्विवेदी डीजीपी डीएम अवस्थी के दरबार में पहुंचे। उन्होंने दस्तावेज पेश किए और पूरे मामले को डीजीपी के सामने रखा। जांच के बाद डीजीपी ने तत्काल मामले को खत्म करने के निर्देश दिए।

यह डीजीपी के स्पंदन कार्यक्रम के कारण संभव हो सका, जिसके तहत उन्होंने पुलिसकर्मियों की समस्याओं को सुलझाने विशेष प्रयास शुरू किया है। स्पंदन कार्यक्रम में अब तक 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की समस्याओं का तत्काल निराकरण हुआ है।

सब इंस्पेक्टर अशोक द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2004 में धमतरी में पदस्थ रहने के दौरान उनको सजा मिली थी। कोर्ट ने सजा पर विचार करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद वर्ष 2009 में एक बार फिर सजा दे दी। दोबारा सजा मिलने के बाद वे लगातार डीजीपी से संपर्क कर अपनी गुहार लगाने की कोशिश कर रहे थे।

इस बीच, स्पंदन कार्यक्रम को लेकर डीजीपी ने नंबर जारी किया, जिसमें पुलिसकर्मी भी अपनी शिकायत को दर्ज करा सकते हैं। द्विवेदी ने स्पंदन कार्यक्रम में जनवरी में अपनी समस्या को लेकर आवेदन किया। लाकडाउन के कारण उनके मामले में सुनवाई का नंबर मई में आया।

डीजीपी ने खुद पूरे मामले की सुनवाई की और उनकी अपील को सही पाते हुए पूरे मामले को खत्म कर दिया। खास बात यह है कि लाकडाउन के दौरान जब पूरे दफ्तर बंद थे, उस समय डीजीपी वर्चुअल माध्यम से पुलिसकर्मियों की शिकायतों पर सुनवाई कर रहे थे।

कोरोना की दूसरी लहर में मृत के स्वजनों को जून तक अनुकंपा

कोरोना की पहली लहर में अपनी जान गंवाने वालों को अनुकंपा नियुक्ति देने के बाद अब पुलिस मुख्यालय कोरोना की दूसरी लहर में मृत पुलिसकर्मियों के स्वजनों की अनुकंपा नियुक्ति पर विचार कर रहा है। पहली लहर में जान गंवाने वाले 25 पुलिसकर्मियों के स्वजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई है। डीजीपी डीएम अवस्थी ने बताया कि दूसरी लहर में जान गंवाने वालों की सूची को अंतिम रूप दे दिया गया है। जून के आखिरी सप्ताह तक सभी योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति दे दी जाएगी।