संयंत्र में कर्मचारियों के बीच पहुंचकर जुटा रहे हड़ताल के लिए समर्थन
भिलाई। चार साल से अटके वेतन समझौता, कोरोना के दिवंगतों के आश्रित को नौकरी सहित अन्य मांगों को लेकर प्रस्तावित हड़ताल के लिए समर्थन जुटाने बीएसपी में संयुक्त ट्रेड यूनियन का अभियान शुरू हो गया
मिल जोन में कर्मचारियों को वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए यूनियन पदाधिकारी 30 जून को काम ठप करने के लिए समर्थन मांग रहे हैं। इस दौरान कर्मचारियों से विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है।
बीएसपी के मिल जोन से इस अभियान की शुरुआत की गई। इस दौरान संयुक्त ट्रेड यूनियन की टीम ने विभिन्न पुल पिट, रेस्ट रूम, कैंटीन एवं अन्य कार्य स्थलों पर कर्मियों से मिलकर वेतन समझौता को लेकर 30 जून को होने जा रहे हड़ताल में भाग लेने की अपील की।
मिल जोन की संयुक्त टीम ने बताया कि वर्तमान में प्रबंधन ने लगभग 700 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कर्मियों के वेतन समझौता पर खर्च करने का प्रस्ताव एनजेसीएस की बैठक में रखा है। जबकि यूनियन का मानना है कि वेतन समझौते के बाद वेतन समझौता होने से 1000 से 1100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष बजट की आवश्यकता होगी।
जबकि सेल बोर्ड ने अधकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन समझौता के लिए कुल 1000 करोड़ रुपए ही प्रतिवर्ष खर्च करने का निर्णय थोपने की तैयारी में हैं। इसमें कर्मियों के लिए 650 करोड़ एवं अधिकारियों के लिए 350 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव पेश किया है।
इसीलिए संयुक्त यूनियन के द्वारा एनजेसीएस की बैठक में सदस्य यूनियन के द्वारा प्रबंधन द्वारा दिए गए प्रस्ताव को बढ़ाने की मांग की जा रही है परन्तु प्रबंधन तैयार नहीं है इसीलिए बेहतर वेतन समझौता के लिए बोर्ड द्वारा दिए गए बजट को बढ़ाने के लिए दबाव बनाने 30 जून का हड़ताल जरूरी है।
प्रबंधन का प्रस्ताव ठगने वाला
यूनियन नेताओं द्वारा कर्मियों के साथ चर्चा में यह सामने आई कि प्रबंधन ने मीटिंग पर मीटिंग बुलाकर जिस तरह का प्रस्ताव वेतन समझौता के लिए दे रहा है उससे कर्मी ठगा एवं अपमानित सा महसूस कर रहे हैं। कर्मियों का कहना है कि उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी भिलाई सहित सेल को ऊंचाइयों में बनाए रखा।
कोरोना संक्रमण के महामारी के बीच भी संयंत्र के उत्पादन एवं उस उत्पादन के दम पर अर्जित किए गए लाभ को नीचे नहीं आने दिया। ऐसे में कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रबंधन को चाहिए कि बेहतर वेतन समझौता का प्रस्ताव दे। किंतु प्रबंधन ने ऐसा ना कर कर्मियों के मनोबल को ही तोड़ रहा है।
एक फीसद एमजीबी बढ़ाने पर 61 करोड़ की जरूरत
मिल जोन की संयुक्त टीम ने कहा कि एक फीसद एमजीबी बढ़ने पर प्रतिवर्ष लगभग 61 करोड रुपए का बजट बढ़ेगा प्रबंधन ने पहले 650 करोड़ रुपये बाद में 50 करोड़ बढ़ाकर मात्र 700 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष बजट देने की बात कही है। इसीलिए प्रबंधन बार-बार 11 फीसद एमजीबी का प्रस्ताव दे रहा है।
यदि हमें 15 फीसद एमजीबी लेना है तो 244 करोड रुपए लगभग बजट में बढोत्तरी करवाना होगा। जिसे प्रबंधन मंजूर करने के लिए तैयार नहीं है। कर्मचारियों से चर्चा के दौरान टीम में इंटक से बाल सिंह, कौशलेंद्र सिंह, एस रवी, यशवंत, प्रदीप पाठक सीटू से केके देशमुख, केवेंद्र सुंदर, डीवीएस रेड्डी सहित अन्य रहे।