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वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यानों में मानव बस्तियों की अनुमति नहीं : गुप्त

भोपाल। क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय (आरएमएनएच), भोपाल द्वारा ऑनलाइन ग्रीष्मकालीन प्राकृतिक अध्ययन कार्यक्रम (हरित किशोर ) का आयोजन 25 जून तक किया जा रहा है। अंतिम दिन संग्रहालय के वैज्ञानिक-सी एवं कार्यक्रम समन्वयक मानिक लाल गुप्त ने प्रतिभागियों को मध्यप्रदेश के प्रमुख आरक्षित क्षेत्र एवं बड़े स्तनधारी वन्यप्राणियों के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में पूरे देश से 60 प्रतिभगियों ने भाग लिया। श्री गुप्त ने प्रतिभागियों को बताया कि मध्यप्रदेश में नौ राष्ट्रीय उद्यान, 25 वन्यजीव अभ्ायारण्य, छह टाइगर रिजर्व तथा तीन जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं। राष्ट्रीय उद्यानों में वन्य प्राणियों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, इसीलिए राष्ट्रीय उद्यानों में मानव बस्तियों की अनुमति नहीं दी जाती है, यहां पर शिकार करना, जंगली उत्पाद एकत्र करना प्रतिबंधित होता है, जबकि जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में कुछ प्रतिबंधों के साथ मानव समुदाय एवं वन्य प्राणियों दोनों को संरक्षित किया जाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को मप्र पाए जाने वाले भालू, नेवला, सांभर, बारहसिंघा, चिंकारा, तेंदुआ, बाघ, नील गाय, लकड़बग्घा, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली बिल्ली, चीतल, कृष्ण मृग, उदबिलाव, चौसिंगा आदि के बारे में बताया।

सरीसृप जैवविविधता का संरक्षण: इसके बाद संग्रहालय ने ऑनलाइन ग्रीष्मकालीन प्राकृतिक अध्ययन कार्यक्रम (हरित शावक) के अंतर्गत संग्रहालय के वैज्ञानिक-सी एवं प्रभारी डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने प्रतिभागियों को मप्र के सरीसृप जैवविविधता और उसके संरक्षण के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम के दौरान डॉ. मनोज कुमार शर्मा प्रतिभागियोंको मध्यप्रदेश में पाए जाने वाले मगरमच्छ, घडियाल, कछुआ, छिपकली, गिरगिट, तथा विभिन्‍न प्रकार के सर्पों जैसे अजगर, कोबरा, वाइपर, करैत तथा घोड़ा पछाड़ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्‍होंने लोगो से अपील की कि वन्य प्राणियों और सरीसृप के अंगों से बने उत्पाद को न खरीदें एवं वन्य प्राणियों का संरक्षण करे। संग्रहालय की वैज्ञानिक सी डॉ.बीनिश्ा रफत इस कार्यक्रम की समन्वयक थीं।