ब्रेकिंग
भाटापारा में स्वीकृत 100 बिस्तर के अस्पताल को कांग्रेस सरकार ने रोक दिया,,, केंद्र सरकार शिवरतन शर्मा की मांग पर यहां 50 बिस्तर का अस्पताल स्वीकृत किय... भाटापारा विधानसभा भाजपा प्रत्याशी के पास है विकास कार्यों की लंबी सूची तो कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश सरकार के कार्यों के दम पर लड़ेगी चुनाव शिवरतन ने आज तक जो जो वादा किया सभी को पूरा किया भाजपा सरकार आते ही भाटापारा बनेगा स्वतंत्र जिला- शिवरतन शर्मा ED का गिरफ्तार एजेंट के हवाले से दावा:महादेव सट्‌टेबाजी ऐप के प्रमोटर्स ने CM बघेल को दिए 508 करोड़ रुपए बीजेपी ने 4 उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट जारी की छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 7 प्रत्याशियों की सूची जारी, अब सभी 90 सीटों पर कांग्रेस के नाम घोषित 22 विधायकों का टिकट कटा, कसडोल से शकुंतला साहू की भी ट... भाटापारा विधानसभा में शिवरतन शर्मा से सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी इंद्र साव का होगा, सुनील, सतीश, सुशील, चेतराम को पछाड़ कर इंद्र ने अपने नाम की टि... छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 53 नामों वाली दूसरी सूची जारी हुई, 10 विधायकों का टिकट कटा, भाटापारा से इंद्र साव, बलोदा बाजार से शैलेश नितिन त्रिवेदी को मि... छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 30 नामो वाली सूची जारी, 8 विधायकों का टिकट कटा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही भाजपा ने की 64 नाम की घोषणा, भाजपा की वायरल हुई सूची सच साबित हुई

सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों पर हुई FIR को रद नहीं किया, लगाई गिरफ्तारी पर रोक, कहा- हाई कोर्ट जाओ

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह नहीं चाहता कि प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया जाए, लेकिन वह पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद करने के लिए सीधे उनसे संपर्क करने के लिए एक अलग रास्ता नहीं बना सकता है। शीर्ष अदालत का मानना है कि इस मामले को यहां सुनने का मतलब पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था बनाना होगा। हालांकि, FIR रद न करते हुए कोर्ट ने ‘द वायर’ के तीन पत्रकारों को दो महीने तक गिरफ्तारी से सुरक्षा दी और कहा कि वह हाई कोर्ट में जा सकते हैं। बता दें कि कोर्ट से उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकी को रद करने की मांग हुई थी।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन्हें प्राथमिकी रद करवाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। पीठ ने कहा, जिसमें न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना भी शामिल हैं, ‘आप उच्च न्यायालय में जाएं और रद करने के लिए कहें। हम गिरफ्तारी से बचाने में आपकी रक्षा करेंगे।’

शीर्ष अदालत फाउंडेशन फार इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो डिजिटल न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ और उसके तीन पत्रकारों – सिराज अली, मुकुल सिंह चौहान और इस्मत आरा को शामिल करती है।

अधिवक्ता शादान फरासत के माध्यम से दायर याचिका में उत्तर प्रदेश के रामपुर, गाजियाबाद और बाराबंकी में दर्ज तीन प्राथमिकी और उनसे उत्पन्न होने वाली कार्यवाही को रद करने की मांग की गई थी। इसमें उत्तर प्रदेश पुलिस को इन प्राथमिकी के संबंध में उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की थी।

याचिका में शीर्ष अदालत से भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है, जिसमें धारा 153-ए (धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) शामिल हैं। विशेष रूप से मीडिया घरानों और पत्रकारों के खिलाफ जो रिपोर्टिंग के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार का प्रयोग करते हैं। बता दें कि इस साल जून में बाराबंकी में मई 2021 में क्षेत्र में एक मस्जिद के विध्वंस पर एक समाचार के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।