निजी लैब पर भरोसे का बुरा हश्र: पांच दिन में आ रही सैंपल रिपोर्ट
जबलपुर। कोरोना संक्रमण की जांच के लिए निजी लैब पर भरोसा करना नागरिकों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। ऐसे तमाम उदाहरण सामने आ रहे हैं जब रिपोर्ट मिलने में देरी कोरोना संक्रमित मरीज के लिए बड़े जोखिम का कारण बन रही है।
जबलपुर में मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय, आइसीएमआर एनआईआरटीएच में कोरोना सैंपल जांच की सुविधा होने के बावजूद ज्यादातर सैंपल निजी कंपनी सुप्राटेक हैदराबाद भेजे जा रहे हैं। इसी तरह के एक मामले में रिपोर्ट में देरी की वजह से मृगनयनी एंपोरियम के मैनेजर धनराज सोनकर की हालत इस कदर बिगड़ गई है कि तमाम निजी अस्पतालों ने उन्हें भर्ती कर इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल में भर्ती धनराज की कोरोना सैंपल की रिपोर्ट रविवार 11 अप्रैल को आई जबकि सैंपल 6 अप्रैल को भेजे गए थे।
इस बीच कोरोना संदिग्ध मानकर उनका इलाज किया जाता रहा। शरीर में पहले से प्रवेश कर चुके संक्रमण के कारण उनकी हालत बिगड़ती गई और संक्रमण ने छाती को जकड़ लिया। सीटी स्कैन जांच में छाती में गंभीर संक्रमण का पता चला है, जिसकी रिपोर्ट देखने के बाद निजी अस्पतालों के डॉक्टर उन्हें भर्ती करने तैयार नहीं हो रहे।
रैपिड जांच में नेगेटिव आई थी रिपोर्ट: जानकारी के मुताबिक मृगनयनी एंपोरियम के मैनेजर धनराज सोनकर की तबीयत कुछ दिन पहले खराब हुई थी। कोरोना की आशंका के चलते 6 अप्रैल को वह विक्टोरिया अस्पताल पहुंचे और रैपिड एंटीजन जांच कराई। जिसकी रिपोर्ट में कोरोना वायरस का संक्रमण नेगेटिव रहा परंतु सोनकर ने अपनी सेहत ठीक न होने की जानकारी दी। जिसके बाद rt-pcr सैंपल जांच के लिए सुप्राटेक लैब हैदराबाद भेजे गए। धनराज उसी दिन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती हो गए।
पहले उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया बाद में कोरोना की रैपिड जांच रिपोर्ट नेगेटिव होने के कारण सस्पेक्टेड वार्ड भेज दिया गया। रविवार 11 अप्रैल को कोविड कमांड सेंटर ने सूचना दी कि सुप्राटेक लैब हैदराबाद से कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। इस बीच स्वजन ने धनराज का सीटी स्कैन कराया जिसकी रिपोर्ट से पता चला कि छाती में संक्रमण फैल चुका है। स्वजन का कहना है कि यदि 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट आ जाती तो धनराज को इतने गंभीर संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
स्वास्थ्य विभाग सूत्रों का कहना है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी के चलते सुप्राटेक लब में 80 से 90 फीसद सैंपल भेजे जा रहे हैं। जबकि मेडिकल कॉलेज और आईसीएमआर में रोजाना सैकड़ों सैंपल की जांच सुविधा उपलब्ध है। निजी लैब से सांठगांठ के चलते विक्टोरिया अस्पताल की ट्रू नाट मशीन भी बंद पड़ी है।