सगा भाई नहीं होने पर राजपुरोहित परिवार ने निभाया फर्ज
जालोर: आहोर रानीवाड़ा के पास सेवाडिया गांव में राजपुरोहित परिवार ने दलित भील समाज की बहन के 1 लाख 51 हजार रुपए का मायरा भरा।आहोर रानीवाड़ा के पास सेवाडिया गांव में राजपुरोहित परिवार ने दलित भील समाज की बहन के 1 लाख 51 हजार रुपए का मायरा भरा। सामाजिक रीति रिवाजों के अनुरूप मायरा भरकर एक बेहतरीन नजीर पेश की है।आहोर रानीवाड़ा के पास सेवाडिया गांव में राजपुरोहित परिवार ने दलित भील समाज की बहन के 1 लाख 51 हजार रुपए का मायरा भरा।रानीवाड़ा कलां की शांतादेवी की शादी सेवाड़िया गांव में हुई थी। शांता का सगा भाई नहीं होने एवं खुद 5 बहन होने से दिल में कसक रहती थी। ससुराल पक्ष में किसी घर में मायरा आने पर परंपरानुसार परिवार में कपड़े दिए जाते हैं और इसको उधारा सौदा माना जाता है। शांता के सगा भाई नहीं होने से उसे मायरा आने की उम्मीद नहीं थी। ऐसे में पूर्व सरपंच मफाराम राजपुरोहित परिवार ने उसकी मनोस्थिति को समझाकर मनोज राजपुरोहित ने शांता के हाथ से धर्म का डोरा बंधवाकर बहन बनाया। शांतादेवी की पुत्री की शादी का कार्यक्रम था। ऐेसे में मनोज पुत्र मफाराम राजपुरोहित ने अपने परिवार सहित गाजों बाजों के साथ मायरा लेकर शांतादेवी के घर पहुंचे। दोनों परिवारों की महिलाओं ने मायरा और विवाह के गीत गाकर मायरा की रस्म निभाई। गांव में एक बेहतरीन अच्छा माहौल बनने पर हर व्यक्ति की जबान पर इसी मायरा की चर्चा रही।बहन शांता देवी ने गुरुवार को बाकायदा तिलक दस्तुर कर मायरे का अपने घर स्वागत किया। मनोज ने बहन के लाल चुंदड़ी ओढ़ाकर बहुमान किया। इससे शांता की आंखों में खुशी के आंसू दिखे। क्षेत्र में शादियों की सीजन चल रही है। ऐसे में इस मायरे की बात हर किसी की जबान पर देखी जा रही है। इस मौके पर मफाराम पुरोहित, मसराराम, भगाराम, प्रागाराम, हरेश कुमार, लसाराम, भीमाजी, करणाजी, सोमाजी सहित भील माजीराणा समाज के पंच भी मौजूद रहे। कुछ दिन पूर्व डूंगरी गांव के देवड़ा परिवार की ओर दलित बहन के 1.51 लाख का मायरा भरकर एक अच्छी परम्परा की शुरुआत की थी।