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पुलिस ने सरबजीत सिंह मोखा को उसके ही अस्पताल में किया नजरबंद, वीएचपी ने सभी दायित्वों से हटाया

जबलपुर। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त में आरोपित सरबजीत सिंह मोखा को पुलिस ने उसके ही सिटी अस्पताल में नजरबंद कर दिया है। इंजेक्शन मामले में मोखा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के बाद पुलिस टीम उसकी तलाश में जुटी थी। सोमवार रात पुलिस अधिकारियों को पता चला कि वह सिटी अस्पताल के एक वार्ड में भर्ती है। जिसके बाद ओमती पुलिस टीम वहां पहुंची और वार्ड के बाहर जवान तैनात कर दिए गए। पुलिस की अनुमति के बगैर मोखा से किसी को मिलने जुलने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इस कार्रवाई के बाद माेखा की गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है। इधर, सिटी अस्पताल के कर्मचारी देवेश चौरसिया को पुलिस ने सोमवार को कोर्ट के निर्देश पर जेल भेज दिया। यह भी पता चला है कि मोखा ने स्वयं को कोरोना पॉजिटिव बताया है, जिसकी जांच के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से चर्चा की गई है।

लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले मोखा को विहिप ने कर दिया पद मुक्त

विश्व हिंदू परिषद ने सिटी हॉस्पिटल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा को संगठन के सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया है। उनके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद संगठन के पदाधिकारियों ने यह निर्णय किया है। प्रांत मंत्री राजेश तिवारी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि सरबजीत सिंह मोखा का नाम नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के लेनेदेन को लेकर नाम सामने आया है। जिसके बाद लोगों में उसके खिलाफ भारी आक्रोश है। प्रांत मंत्री राजेश तिवारी के अनुसार कोरोना संक्रमण की वजह से बैठक नहीं हो रही है। ऐसे में संगठन मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के साथ पूरे प्रकरण को लेकर विचार-विमर्श कर निर्णय लिया गया है कि मोखा को सभी दायित्व से मुक्त किया जाए। उनके अनुसार सरबजीत सिंह मोखा विश्व हिंदू परिषद के नर्मदा जिला के अध्यक्ष थे।

यह है मामला- गुजरात क्राइम ब्रांच ने मोरबी शहर से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर देशभर में कारोबार करने वाले गिरोह को बेनकाब किया था। जिसके बाद गुजरात पुलिस ने आशानगर अधारताल निवासी सपन उर्फ सोनू जैन को जबलपुर आकर गिरफ्तार कर लिया था। इस कार्रवाई के बाद जबलपुर पुलिस ने सपन जैन से संबंधित भगवती फार्मा समेत दवा की तीन दुकानों को सील कर दिया था। इस बीच सपन के चाचा ने सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा का नाम उगला। जिसके बाद पुलिस ने उस पर शिकंजा कस दिया। ओमती थाने में रविवार रात मोखा, सपन जैन व सिटी अस्पताल में दवा की दुकान संचालित करने वाले देवेश चौरसिया के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करते हुए चौरसिया को गिरफ्तार कर लिया था।

देवेश ने बताई हकीकत- नकली रेमडेसिविर के कारोबार के संबंध में देवेश ने पुलिस के सामने मुंह खोला। उसने बताया कि 23 एवं 28 अप्रैल को अम्बे ट्रेवल्स के माध्यम से इंदौर से रेमडेसिविर इंजेक्शन के दो कार्टून जबलपुर भेजे गए थे। जिसे मोखा के कहने पर वह दमोहनाका स्थित ट्रांसपोर्ट से लाकर मोखा के चैंबर में रख दिया था। इंजेक्शन की कीमत का भुगतान सपन जैन ने किया था। पुलिस की जांच में इस सबंध मे सिटी अस्पताल से दस्तावेज नहीं मिले। पुलिस ने माना कि मोखा द्वारा अपने सहयोगियों के साथ षडयंत्रपूर्वक अवैध लाभ अर्जित करने के लिए अपमिश्रित दवाओं का उपयोग कोरोना मरीजों पर कर रहा था। ओमती थाने में धारा 274, 275, 308, 420, 120बी एवं 53 आपदा प्रबंधन अधिनियम, 3 महामारी अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध किया गया था।

सरकारी अस्पतालों की जांच हो- बताया जाता है कि अब तक चली जांच में यह बात सामने आई है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खपत योजनाबद्ध तरीके से सरकारी अस्पतालों में की गई। वहां के लिए आवंटित रेमडेसिविर के असली इंजेक्शन से नकली इंजेक्शन की अदला बदली कर दी जाती थी। कोरोना विस्फोट के बाद सबसे ज्यादा रेमडेसिविर इंजेक्शन विक्टोरिया व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इस्तेमाल में लाए गए। जिन मरीजों के लिए इंजेक्शन जारी हुए थे, उन्हें कितनी राहत मिली इसका पता लगाकर उक्त संदेह का अनुमान लगाया जा सकता है।

नकली रेमडेसविर इंजेक्शन के कारोबार में आरोपित मोखा के सिटी अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली थी। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर अस्पताल में वार्ड के बाहर पुलिस गार्ड की तैनाती की गई है। इंजेक्शन मामले की विेवेचना की जा रही है। रोहित काशवानी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर