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6 की हो चुकी है पहचान; NDRF व SDRF तैनात, सर्च ऑपरेशन जारी

बबेरू (बांदा): बांदा में यमुना की बीच धारा में नाव पलटने से लापता हुए 17 लोगों में से शनिवार को 8 और शव मिले हैं। इसमें से 6 लोगों की पहचान हो गई है। दो अन्य की पहचान नहीं हो पाई। मृतकों में 5 पुरुष और तीन महिलाएं हैं। अब शव मिलने की संख्या 11 हो गई है। अभी भी 8 लोग लापता हैं। सुबह 6 बजे से ऑपरेशन जारी है।मरका घाट पर NDRF, SDRF और PAC की टीम मौजूद है। गुरुवार रात 11 बजे ऑपरेशन जिंदगी नाम से रेस्क्यू शुरू हुआ था। 78 जवानों ने 8 नावों से शुक्रवार तक 14 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था। 12 किमी. की दूरी तक चप्पा-चप्पा खंगाला गया। एहतियातन यहां घाटों पर गोताखोरों को तैनात किया गया है। महेवा, कौशांबी, किशन पुर, फतेहपुर, चित्रकूट में जाल लगाया गया है।यह भी पढ़ें- यमुना में डूबे 6 और शव मिले:बांदा से फतेहपुर बॉर्डर तक बह गए थे शव, NDRF का सर्च ऑपरेशन जारीरेस्क्यू में 8 नावों के साथ जुटी टीमNDRF की 30 सदस्यीय टीम 4 नाव के साथ है। SDRF की 35 सदस्यीय टीम तीन नाव के साथ है। वहीं, 13 सदस्यीय PAC भी एक नाव के साथ लापता लोगों की तलाश कर रही है। यह जानकारी बबेरू तहसीलदार अजय कुमार कटियार ने दी है।नदी किनारे प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मौजूद है।यह भी पढ़ें- बांदा नाव हादसे में जिंदा बचे लोगों की आपबीती:अचानक गोते खाने लगी नाव, लगा सब मर जाएंगे; बांस का सहारा पाकर बच गएये है आज मिले मृतकों की सूचीलक्ष्मणपुर फतेहपुर निवासी राजू पुत्र मुन्ना प्रसाद।मुंडवारा थाना मरका निवासी गीता पत्नी ब्रजकिशोर।मरका निवासी माया पत्नी दिनेश।जरौली, फतेहपुर निवासी मुन्ना उर्फ रामप्रसाद।मरका निवासी प्रीति पत्नी विकास।दुसुआ का डेरा सरकंडी फतेहपुर निवासी झल्लू पुत्र लाला। ​​​​​नदी किनारे उतराए शव। प्रशासन शवों के शिनाख्त का प्रयास कर रही है।दो दिन पहले नदी में पलटी थी नावबुधवार को रक्षा बंधन पर समगरा गांव से महिलाएं और अन्य लोग मरका घाट पर पहुंचे थे। यमुना नदी पार करके फतेहपुर जिले के असोथर घाट जाने के लिए नाव पर 35 लोग सवार हुए थे। यमुना नदी में बीच धारा में पहुंचते ही नाव बैलेंस बिगड़ गया और वह पलट गई।​ गुरुवार से ही लोग मरका घाट पर अपनों के इंतजार में बैठे हैं।यह भी पढ़ें- बांदा नाव हादसा, 14 घंटे चला रेस्क्यू:17 लोगों का अभी तक कोई पता नहीं, शनिवार सुबह फिर होगी सर्चिंगदो दिनों से लोग घाट पर अपनों के इंतजार में बैठे हैं।नाव में 20 की क्षमता थी, बैठे थे 35 लोगग्रामीणों ने कहा, “नाव की क्षमता 20 लोगों की थी, लेकिन उस पर 35 लोग सवार थे। इतना ही नहीं, 8 बाइकें भी लदी थीं। ज्यादा वजन की वजह से नाव को मोड़ते समय पतवार टूट गई। इससे नाव डूब गई। तीन-चार दिन पहले अधिकारी ने निरीक्षण भी किया था। निर्देश दिया था कि यमुना नदी उफान पर हैं। ऐसे में अगर लहर उठ रही है तो नाव न चलाएं। बावजूद इसके नावों का संचालन किया जा रहा है।यह भी पढ़ें- बांदा नाव हादसे का जिम्मेदार कौन?:थाने से 100 मीटर दूर हुआ हादसा, नाविकों ने अफसरों की बात को अनसुना कियाये फोटो डूबी हुई नाव की है। इसी पर 35 लोग सवार हो जाते थे। इन लोगों के साथ नाव में 8 मोटरसाइकिलें भी थीं।11 साल पहले शुरू हुआ था निर्माणग्रामीणों ने कहा कि साल 2011 में बसपा सरकार में यमुना पर पुल बनना शुरू हुआ था। 2014 तक पुल बनाकर चालू करने का लक्ष्य था, लेकिन पैसों के बजट के चलते ऐसा नहीं हो सका। कहा कि अगर यह पुल बना होता तो शायद लोग बच जाते। इसमें अधिकारियों की लापरवाही है।ये नदी से बचकर आए किशोर हैं। अपनी पत्नी के साथ ससुराल जा रहे थे। बांस के सहारे नदी से बाहर आए।नदी से बच आए किशोर ने कहा, “मैं अपनी पत्नी के साथ ससुराल जा रहा था। बीच मझदार में नाव पटल गई। देखते ही देखते लोग डूब गए। मेरी पत्नी भी डूब गई। मैं बांस के सहारे बाहर आया। अगर पुल बना होता तो हमारी पत्नी बच जाती।