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युवा अर्थशास्त्री कोरोना वैक्सीन का पेटेंट खत्म कराने के अभियान में जुटे

जबलपुर। आज जबकि पूरा विश्व कोविड महामारी से त्रस्त है, ऐसे में वैक्सीन का पेटेंट शर्मनाक है। यह कहना है कि जबलपुर के युवा अर्थशास्त्री डॉ. देवेंद्र विश्वकर्मा का। उन्होंने वैक्सीन पेटेंट खत्म कराने अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत इंटरनेट मीडिया के जरिये जागृति फैला रहे हैं। वे अपने आंदोलन को मजबूती देने देश की सीमाओं के बाहर के अर्थशास्त्रविदों से भी संपर्क में जुटे हैं।

स्वदेशी जागरण मंच के बैनर तले उन्होंने लेख माला भी तैयार कर ली है। उनका कहना है कि वैक्सीन के लिए चंद कंपनियों के भरोसे रहने से भारत जैसे विशाल देश की जनता तक वैक्सीन नहीं पहुंच सकती। बड़ा हिस्सा वंचित रह जाएगा। कोरोना किसी एक देश विशेष की नहीं बल्कि दुनियाभर की समस्या है। ऐसे में सभी देश एक मंच पर आएं और चंद कंपनियों के मुनाफे की नीति को बदलें। संयुक्त राष्ट्र संघ से भी दखल की अपील है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। निजीकरण कितना घातक है, यह आज दुनिया देख रही है। निजी अस्पताल, निजी एंबुलेंस, निजी कंपनियां देशहित को दरकिनार कर अपनी जेब भरने पर आमादा हैं। इससे उनकी नीति-रीति साफ हो रही है। समय आ गया है, जब दुनियाभर के जनहित समर्थक एकजुट होकर आवाज उठाएं। विश्व नागरिकता का बोध जागृत हो। सारी दुनिया अब एकजुट न हुई ताे संकट विकराल होता जाएगा। कारोना से सीख न ली तो आने वाली सदियां बर्बादी की दंश भोगेंगी। कोरोना तो सिर्फ नमूना है, ऐसे कई खतरे पर्यावरण प्रदूषण के कारण बाट जोह रहे हैं।