चाणक्य के अनुसार घर की स्त्री और पुरुष का रिश्ता कैसा होना चाहिए
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल में चाणक्य हुए थे। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में जीवन से जुड़ी कई बातों का उल्लेख किया है।
चाणक्य के नीति वाक्य आज भी प्रासंगिक हैं। महिला और पुरुषों के रिश्तों को लेकर भी उन्होंने कई बातों का खुलासा किया है। आओ जानते हैं कि चाणक्य नीति के अनुसार घर के स्त्री और पुरुष के बीच कैसा होना चाहिए रिश्ता।
विश्वास : आचार्य चाणक्य के अनुसार प्रेम के रिश्ते में बंधे लोगों को एक-दूसरे पर विश्वास होना चाहिए। वे कहते हैं जिस रिश्ते में विश्वास हो वो रिश्ता जीवन में कितनी ही चुनौतियां आएं, उससे जीतने में सफलता प्राप्त करता है।
विनम्रता : चाणक्य के अनुसार कभी भी प्रेम संबंधों में अभिमान, अहंकार की जगह नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे रिश्ते में खटास आने की संभवाना बढ़ जाती है। अत: रिश्तों में विनम्रता जरूरी है।
नि:स्वार्थ : प्यार, प्रेम को सादगी का ही रूप माना जाता है, अत: किसी भी रिश्ते में दिखावा और स्वार्थ से बचें। रिश्तों में निस्वार्थ का होना जरूरी है।
स्वतंत्रता : किसी भी रिश्ते में आजादी का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि जिन रिश्तों में आजादी नहीं होती है, वो कुछ समय बाद टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं।
आत्मसम्मान : हर व्यक्ति को किसी भी दूसरे व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए, क्योंकि इससे जहां एक-दूसरे के प्रति आदर-सम्मान कम होता है, वहीं रिश्ते कमजोर होने लगते हैं। एक दूसरे के आत्मसम्मान की रक्षा करें।
अपशब्द : ऐसे पति या पत्नी जो हमेशा गुस्से में रहते हो, अपशब्द बोलते हैं और इस वजह से परिवार का माहौल बिगड़ जाता है, ऐसे में इन लोगों का त्याग कर देना ही उचित होता है।
क्रोध : पति पत्नी के बीच यदि दोनों में से कोई भी एक गुस्से वाला स्वभाव का है तो परिवार में अशांति रहेगी। रिश्तों के बीच को क्रोध को न आने दें।
गोपनीयता : वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए जरूरी है कि पति पत्नी के बीच की बातें किसी तीसरे को पता न चले। एक दूसरे की अच्छी बातों की चर्चा करने वाले दंपती हमेशा सुखी रहते हैं।