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…तो विरोध करने वाली नेकां अब बनेगी परिसीमन प्रक्रिया का हिस्सा

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में परिसीमन का विरोध करने वाली नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) का रुख बदलता नजर आ रहा है। दरअसल, परिसीमन के विरोध के मुद्दे पर पार्टी में विरोध की आवाज उठने लगी है। स्थिति को संभालने और परिसीमन प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए पार्टी नेतृत्व ने अब एक समिति बनाने का फैसला किया है। नेशनल कांफ्रेंस का एक बड़ा वर्ग परिसीमन प्रक्रिया का हिस्सा बनने के पक्ष में है। यह वर्ग चाहता है कि परिसीमन आयोग की अगली सभी बैठकों में तीनों सांसद शामिल होकर पार्टी के राजनीतिक व सामाजिक हितों के संरक्षण को सुनिश्चित बनाएं।

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर व लददाख में पुनर्गठित हुआ है। इस अधिनियम के तहत जम्मू कश्मीर में विधानसभा का प्रविधान है। विधानसभा के गठन से पूर्व प्रदेश में परिसीमन किया जाना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने छह मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया था।

चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, जम्मू कश्मीर व चार अन्य राज्यों के चुनाव आयुक्तों को एक्स ऑफिशियो (पदेन) सदस्य बनाया था। अब मुख्य चुनाव आयुक्त और जम्मू कश्मीर के चुनाव आयुक्त ही पदेन सदस्य सदस्य होंगे। इसमें जम्मू कश्मीर के पांचों सांसद सदस्य हैं। पांच में तीन सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला, जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन नेशनल कांफ्रेंस के हैं। डा. जितेंद्र सिंह व जुगल किशोर शर्मा भाजपा से हैं। मार्च 2021 में केंद्र सरकार ने परिसीमन आयोग के कार्यकाल को एक साल का और विस्तार दिया है।

अभी आयोग का कर रखा है बहिष्कार: नेशनल कांफ्रेंस पहले ही दिन से परिसीमन आयोग के खिलाफ है। वह जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त, 2019 से पहले की संवैधानिक स्थिति की बहाली की मांग कर रही है। नेशनल कांफ्रेंस ने परिसीमन आयोग को जम्मू कश्मीर के हितों के खिलाफ करार दिया है और मार्च, 2020 से लेकर अब तक इसकी एक भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया है।

नेकां ने आयोग का बहिष्कार कर रखा है। बीते आठ माह के दौरान नेशनल कांफ्रेंस में परिसीमन के लेकर पार्टी की घोषित नीति को लेकर विरोध के स्वर लगातार उभर रहे हैं। जिला विकास परिषद के चुनावों के बाद यह स्वर तेज होने लगे हैं। हालांकि, यह स्वर अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं, लेकिन पार्टी बैठक में अक्सर कश्मीर और जम्मू संभाग के कई नेता बहिष्कार के फैसले पर पुर्नविचार पर जोर देने लगे हैं।

फारूक के सामने उठा मुद्दा: गत सप्ताह फारूक अब्दुल्ला ने जब पार्टी कार्यकारिणी के नेताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंस में प्रदेश के राजनीतिक हालात पर चर्चा की तो परिसीमन का मुद्दा भी जोर से उठ गया। मामला तूल पकड़ते देख फारूक ने कथित तौर पर कहा था कि जो भी फैसला होगा, वह सर्वमान्य तरीके से होगा। इसके लिए एक समिति बनाई जाएगी जो सभी मुद्दों पर विचार विमर्श के बाद फैसला लेगी।

मसूदी बोले-सैद्धांतिक तौर पर परिसीमन की प्रक्रिया के खिलाफ : अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र से सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि वीरवार को हुई बैठक में सभी नेताओं ने परिसीमन के मुद्दे पर अपना पक्ष खुलकर रखा है। हालांकि, हम सैद्धांतिक तौर पर परिसीमन की प्रक्रिया के खिलाफ हैं, लेकिन जम्हूरियत का भी अपना एक तकाजा है। नेकां की नीतियां कोई एक-दो लोग तय नहीं करते हैं। सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत के आधार पर व आम कार्यकर्ताओं के फीडबैक पर ही किसी मुद्दे पर हम अपना रुख तय करते हैं। फारूक ने बैठक में साफ शब्दों में कहा कि एक समिति बनाई जाएगी। यह समिति इस पूरे मामले का अध्ययन करेगी, सभी वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करेगी।