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बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में कोलकाता हाईकोर्ट ने सीबीआइ को जांच सौंपी

कोलकाता। West Bengal Post-poll violence case: कलकत्ता हाई कोर्ट चुनाव बाद हिंसा मामले में गुरुवार को अपना फैसला सुनाई है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। हाईकोर्ट की पांच जजों की बेंच कल सुबह 11 बजे मामले में फैसला सुनाएगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्न मुखर्जी, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की बड़ी पीठ कल फैसला सुनाएगी।

उल्लेखनीय है कि इस संबंध में कई याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। उच्च न्यायालय ने 18 जून को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मामले में आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था। आयोग ने 13 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में राज्य सरकार, पुलिस और प्रशासन की तीखी आलोचना की गई है। इसके जवाब में सरकार ने रिपोर्ट को झूठा और पक्षपाती बताते हुए खारिज कर दिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा गठित समिति ने मतदान के नतीजों के बाद राजनीतिक हिंसा के कई मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने की सिफारिश की है।

5 साल से चला रहे थे बगैर ट्रेनिंग के ट्रेन

पिछले 5 साल से फर्जी नियुक्ति पत्र और आईडी कार्ड के आधार पर दो व्यक्ति ट्रेन चला रहे थे। राज्य में फर्जी आईएएस, आईपीएस और सरकारी अधिकारी के बाद अब नकली ट्रेन ड्राइवर के बारे में पता चला है। ये दोनों व्यक्ति रोजाना हजारों लोगों की जान जोखिम में डालकर पूर्व रेल के सियालदह डिविजन में ट्रेन चलाते थे। सूत्रों के अनुसार दोनों युवक पूर्व रेल के सियालदह डिविजन में नौकरी करते थे। उनके नाम साहेब सिंह और इसराफिल सिंह हैं। सियालदह डिविजन का आईडी कार्ड लेकर तमिलनाडू जाने के दौरान रेलवे पास और टिकट देखकर वहां टिकट परीक्षक को उन पर संदेह हुआ। इसके बाद ही दोनों को पकड़कर टिकट परीक्षक ने पुलिस के हाथों में सौंप दिया। अभियुक्तों के पास से कई दस्तावेज जब्त किए गए हैं

अभियुक्तों से पूछताछ के दौरान पता चला कि वर्ष 2016 में उन्होंने नौकरी ज्वाइन किया था। पिछले 5 साल से वे लोग इसी तरह नौकरी करते थे। पिछले पांच साल वे लोग इसी तरह से नौकरी कर रहे थे। बताया गया कि अभियुक्तों को कोलकाता लाकर उनसे पूछताछ की जाएगी। वहीं इस बारे में पूर्व रेलवे की ओर से कहा गया है कि अभियुक्तों का पूर्व रेलवे से सीधा सम्पर्क नहीं है। वहीं उन्होंने ट्रेन चलायी है इसका कोई भी प्रमाण पत्र नहीं मिला है।