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भाई-बहन का अटूट बंधन, पैरों से कलाई पर राखी बांध करती है वंदन

बिलासपुर: तकदीर की लकीर अगर हाथों में होने की बात लोग कहते हैं तो यह सरासर गलत है। क्योंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते, एक ऐसी ही बिना हाथ वाली लड़की अपने भाई की कलाई पर आठ वर्ष से लगातार पैरों से राखी बांध रही है। हम बात कर रहे हैं ब्लॉक मुख्यालय से 25 किमी दूर डिंडौरी की वंदना उपाध्याय की जिसकी जन्म से ही हाथ नहीं है।

रक्षाबंधन एक ऐसा पावन पर्व है जिसे प्रत्येक धर्म के अनुयायी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। राखी के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर जीवनभर रक्षा करने की वचन लेती हैं। एक ऐसी ही बहन है जो अपने भाई की कलाई पर राखी तो बांधती है लेकिन हाथ से नहीं बल्कि पैरों से। डिंडौरी निवासी अनिल उपाध्याय की पुत्री वंदना उपाध्याय जो 14 वर्ष की है।

जन्म से दिव्यांग बिना हाथ वाली पैदा हुई थी। उनके दोनों हाथ नहीं है। और कंधों पर ही उंगली बन गई है। वह अपना पूरा काम पैरों से कर लेती है। राखी में वंदना अपने पैरों से ही भाई के लिए थाली में फूल, कुमकुम और अगरबत्ती तथा दिए जलाकर माथे पर टीका लगाकार अपने भाई के हाथों पर राखी बांधती है। ऊपर वाले ने भले ही वंदना के साथ अन्याय किया हो लेकिन वे कभी हाथ नहीं होने से अपने आपको मायूस नहीं करती है।

पुत्री जन्म से ही दिव्यांग है। रक्षाबंधन का पर्व जब आता है तो भाई की खुशी उस वक्त दोगुनी हो जाती है जब उसकी बहन भाई को राखी पहनाने की ललक में पैरों से राखी बांध देती है। राखी का यह अनोखा बंधन है। जहां पर एक बहन अपने भाई की कलाई अपने पैरों से सजाती है।

महज 14 वर्ष की वंदना पैर से ही पूरी काम कर लेती है। ऐसा नहीं है किवे कुछ नहीं कर पाती है। वंदना पढ़ाई में भी आगे है। कक्षा आठवीं में पढ़ने वाली वंदना अंग्रेजी भी बोल लेती है और बात भी कर लेती है। वही लिखाई पैरों से करती है। वंदना की इच्छा है कि वे डाक्टर बने और उनके जैसे हालत वाले लोगों का इलाज कर उनको नई जिंदगी प्रदान करें।

शासन से है मदद की आशा

आर्टिफिशियल हाथ हो जाए तो वंदना की जिंदगी बन जाएगी। वंदना की माता गृहणी है। उनके पिता अनिल कपड़ा व्यवसायी हैं। जिनसे घर का पालन पोषण कर रहे हैं। वंदना को न तो दिव्यांग पंेशन मिलती है और न ही स्कूलों से पेंशन मिलती है। गरीब घर में जन्मी वंदना का परिवार भी उतना अच्छा नहीं है।

वंदना की माता बताती है कि वंदना आज अपने पैरों से हर काम कर लेती है लेकिन अगर आर्टिफिशियल हाथ लग जाए तो वंदना की जिंदगी ही बदल जाएगी। वंदना की मां ने बताया कि आज तक उन्हें शासन प्रशासन से मदद नहीं मिली है। वे आज दूसरे लड़कियों को देखती हैं तो उनकें आंखें नम हो जाती है।

पैरों से बना लेती है रंगोली

हाथ शरीर का एक अभिन्न् अंग है अगर हाथ ही न हो तो लोग कैसे अपनी जीवन जी सकते हैं। हाथ से पूरा काम होता है। लेकिन वंदना की हाथ ही नहीं है। पैरों से वह हर काम कर लेती है। भाई की कलाई पर पैरों से राखी तो बांधती ही है साथ में वे रंगोली भी बनाती है। स्कूल में आयोजित रंगोली में वंदना पहले स्थान प्राप्त कर चुकी है।