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पुुुलिस अभिरक्षा में आरोपी ने की आत्महत्या मृतक के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये दो माह में अदा करें

आयोग ने की अनुशंसा

नरसिंहपुर   मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस चौकी, बरमान, थाना सुआतला में पुलिस अभिरक्षा में एक आरोपी नारायण लडिया द्वारा टाॅयलेट क्लीनर पीकर आत्महत्या कर लेने से उसकी मौत के मामले में मृतक के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये दो माह में अदा करने की अनुशंसा राज्य शासन को की है। राज्य शासन चाहे, तो दोषी पुलिस अधिकारियों/पुलिसकर्मियों से यह राशि वसूल कर सकता है। चूंकि इस मामले में विभागीय स्तर पर पुलिस अधिकारी/कर्मियों को पहले की दण्डित किया जा चुका है, अतः शास्ति संबधी और कोई निर्देश या अनुशंसा नहीं की गई है। मामला नरसिंहपुर जिले का है। आयोग के प्रकरण क्रमांक/3940/नरसिंहपुर/2020 के अनुसार पुलिस चौकी बरमान में पुलिस अभिरक्षा में लाये गये बंदी नारायण लडिया ने एक अगस्त 2020 को टाॅयलेट क्लीनर पी लिया था। इलाज के दौरान नेशनल अस्पताल, जबलपुर में दो अगस्त 2020 को उसकी मौत हो गयी थी। इस मामले में आयोग ने सतत् सुनवाई उपरांत यह अनुशंसा की है। अपनी अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन पुलिस अभिरक्षा में स्थित बंदियों के लिए हायर सेंटर के अस्पताल में रेफर किये जाने की स्थिति में उसे प्रायवेट अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराये जाने और ऐसे प्रायवेट अस्पताल में होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति के संबंध में स्पष्ट नीति निर्धारित करते हुए दिशा निर्देश जारी करें, क्योंकि बंदी के अभिरक्षा में होने की स्थिति में उसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के संबंध में देखभाल का पूर्ण उत्तर दायित्व मध्यप्रदेश शासन का है और इस संबंध में ऐसी अभिरक्षा के दौरान बंदी की इच्छा या उसके परिजनों की इच्छा पर उसका इलाज प्रायवेट अस्पताल में नहीं कराया जा सकता है, जब तक कि इस संबंध में शासन की ओर से या संबंधित न्यायालय की ओर से कोई स्पष्ट आदेश या अनुमति प्राप्त न हो। मध्यप्रदेश शासन यह भी सुनिश्चित करे कि पुलिस द्वारा पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरण में यदि किसी व्यक्ति को अभिरक्षा में लिया जाता है तो उसे अभिरक्षा के दौरान पुलिस चैकी या पुलिस थाने पर, विशेषकर रात्रि में, रखे जाने के दौरान उसकी व्यवस्था पुलिस लाॅकअप में ही की जाये और उसकी सुरक्षा के संबंध में पूर्ण सजगता और सतर्कता के साथ उस पर नजर रखी जाये, जिससे वह ऐसी अभिरक्षा के दौरान किसी भी परिस्थिति में जोखिमपूर्ण स्थिति में नहीं आ सकें।