बलौदाबाजार उपजेल में फूटा कोरोना बम, बंदियों को जमानत पर छोड़ने की तैयारी
रायपुर। बलौदाबाजार उपजेल में एक साथ 15 बंदियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने से हड़कंप मचा हुआ है। रायपुर और दुर्ग सेंट्रल जेल में पांच से अधिक बंदियों की मौत भी हो चुकी है। दूसरी लहर में प्रदेशभर के अलग-अलग जेलों में 70 से अधिक बंदी कोरोना संक्रमित पाए गए है। ऐसे में हालात बिगड़ने की आशंका को ध्यान में रखकर जेल मुख्यालय ने कवायद तेज कर दी है।
फिर से जेलों में क्षमता से अधिक रखे गए बंदियों को जमानत या पेरोल पर छोड़ने की योजना बनाई जा रही है।इस मामले में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश भी दिए है, लिहाजा जेल प्रशासन ने इस पर जल्द ही फैसला लेने के संकेत दिए है। जानकारी के मुताबिक, बलौदाबाजार उपजेल मे भी कोरोना विस्फोट हुआ है। जेल के 15 कैदी संक्रमित हुए हैं।
रिपोर्ट मिलने के बाद सभी कैदियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है। जानकारी के मुताबिक 14 का कोविड सेंटर सकरी में दाखिल कराया गया है, जबकि एक का जिला कोविड हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। बलौदाबाजार उपजेल के जेलर अभिषेक मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पांच मई को उपजेल के 55 बंदियों का कोरोना टेस्ट कराया गया था, जिसमें 15 संक्रमित निकले हैं।
इसी तरह दो मई को राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ ब्लॉक के सलौनी स्थित उपजेल में लगभग 75 विचाराधीन कैदियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इन सभी कैदियों को जेल में ही अलग-अलग बैरकों में रखकर इलाज किया गया। उपजेल में 376 के मामले में विचाराधीन एक कैदी की कोरोना से मौत हो गई। वहीं, जशपुर जिला जेल में बीत दिनों 21 कैदी कोरोना पॉजिटिव मिले थे।
जेल में अलग से कोविड केयर बैरक बना दिया गया है। सभी संक्रमित बंदियों को इसी में रखा गया है। आशंका जताई जा रही है कि बाहर से आने वाले सामान से संक्रमण फैला है। कारण यह बताया जा रहा है कि किसी आरोपित को कोर्ट में पेश करने के पूर्व ही उसका टेस्ट कराया जाता है। जेल स्टाफ के जरिए संक्रमण फैलने जैसी बात भी अभी तक सामने नहीं आई है।
पांच की हो चुकी है मौत
रायपुर और दुर्ग सेंट्रल जेल में अब तक पांच कैदियों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। इससे पहले रायपुर सेंट्रल जेल और दुर्ग केंद्रीय जेल में बंद पांच कैदियों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। वहीं करीब 70 कैदी पॉजिटिव हो चुके हैं। पिछले साल मार्च में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हजारों कैदियों को अंतरिम जमानत दी गई और पैरोल पर छोड़ा गया था। इस दौरान दो बार पैरोल बढ़ाई गई और दिसंबर तक कैदियों को बाहर रखा गया था। इसके कारण संक्रमण रोकने में जेल प्रशासन को मदद मिली थी।