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नेपाल में संसद भंग करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज दायर होगी याचिका, राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ विपक्ष एकजुट

काठमांडू। नेपाल में संसद भंग करने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ संयुक्त विपक्ष सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा। पहले यह कार्य रविवार को किया जाना था। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने बहुमत साबित करने के प्रति अनिच्छा जता रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मंत्रिमंडल की सिफारिश पर शनिवार को आनन-फानन में प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था। जबकि विपक्षी गठबंधन के नेता के तौर पर शेर बहादुर देउबा ने दावा किया था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए बहुमत है।

ओली की पार्टी के माधव नेपाल भी विपक्षी गठबंधन के साथ

संसद भंग करने के खिलाफ याचिका पर नेपाली कांग्रेस, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र), जनता समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनमोर्चा के निवर्तमान सांसद दस्तखत कर रहे हैं। यही नहीं संसद को भंग करने के खिलाफ याचिका पर ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के नेता माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाले धड़े के निवर्तमान सांसद भी दस्तखत कर रहे हैं। इस धड़े में कुल 28 निवर्तमान सांसद हैं।

देउबा के नेतृत्व में सरकार बनाने का प्रस्ताव बहुमत पर आधारित था

नेकपा (माओवादी केंद्र) के अनुसार याचिका पर प्रतिनिधि सभा के निवर्तमान सदस्यों का बहुमत दस्तखत कर रहा है। इससे साबित होता है कि देउबा के नेतृत्व में सरकार बनाने का प्रस्ताव बहुमत पर आधारित था।

राष्ट्रपति भंडारी ने पीएम ओली की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया था

राष्ट्रपति भंडारी ने 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा को ओली की सिफारिश पर पांच महीने पहले भी भंग किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके फैसले को रद करते हुए संसद बहाल कर दी थी। भंडारी ने शनिवार को फिर से संसद भंग की है और 12 व 19 नवंबर को देश में चुनाव कराने की घोषणा की है। इससे पहले भंडारी ने संसद में विश्वास मत हारे ओली को प्रधानमंत्री पद की पुन: शपथ दिलाई थी और जब ओली ने 30 दिन के भीतर विश्वास मत हासिल करने में मजबूरी जताई तो राष्ट्रपति ने उन्हीं की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया।

देउबा के दावे को नहीं स्वीकारा, राष्ट्रपति के फैसले को विपक्ष ने असंवैधानिक करार दिया

उन्होंने देउबा के सरकार बनाने के दावे को भी स्वीकार नहीं किया। राष्ट्रपति के फैसले से गुस्साए विपक्ष ने इसे पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है। विपक्षी नेताओं ने संयुक्त बयान में राष्ट्रपति पर ओली का गलत तरीके से साथ देने और संविधान के खिलाफ जाकर संसद भंग करने का आरोप लगाया। इस बयान पर नेपाली कांग्रेस के देउबा, नेकपा (माओवादी केंद्र) के पुष्प कमल दहल प्रचंड, जनता समाजवादी पार्टी के उपेंद्र यादव, राष्ट्रीय जनमोर्चा की दुर्गा पौडेल और नेकपा (यूएमएल) के माधव कुमार नेपाल के दस्तखत हैं। राजधानी काठमांडू समेत देश के कई शहरों में संसद को भंग किए जाने के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन भी हुए।