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सरसों तेल, रिफाइंड व अन्य खाद्य तेलों की महंगाई रोकने के लिए केंद्र ने उठाए ये कदम, GST हटाने का भी प्रस्ताव

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों समेत सभी साझेदारों से खाद्य तेलों की महंगाई पर काबू पाने के उपायों पर तत्काल कदम उठाने को कहा है। खाद्य तेलों की बेकाबू हो चुकी महंगाई को थामने के लिए सोमवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सभी साझेदारों के साथ अपनी तरह की पहली बैठक की। बैठक के बारे में खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि साझेदारों से मिले सुझाव उपभोक्ताओं तक वाजिब दाम में खाद्य तेल पहुंचाने के केंद्र सरकार के प्रयासों में बेहद मददगार साबित होंगे। सूत्रों के अनुसार इनमें जीएसटी हटाने से लेकर शेयर बाजारों में इसके वायदा कारोबार पर रोक लगाने तक के विचार शामिल हैं।

सोमवार को हुई इस बैठक में सबसे महत्वपूर्ण सुझावों में एक यह था कि खाद्य तेलों के तत्कालीन स्टॉक की स्थिति जानने की जिम्मेदारी बैंकों और सीमा शुल्क विभाग को सौंपी जाए। इसकी वजह यह है कि कारोबारियों को कर्ज लेने के लिए बैंकों को मात्रा और उसके भंडारण लोकेशन की जानकारी देनी होती है।

ऐसे में बैंकों को आसानी से पता चलता रहता है कि इनका भंडारण कहां-कहां हो रहा है। फिर, एक अन्य महत्वपूर्ण सुझाव यह था कि खाद्य तेलों पर वायदा कारोबार तत्काल बंद किया जाए और सिर्फ हाजिर सौदों की मंजूरी दी जाए। अगर ऐसा करना संभव नहीं हो तो भाव पर सर्किट सीमा चार फीसद से घटाकर दो फीसद कर दी जाए। इसका फायदा यह होगा कि कमोडिटी बाजार में इनके भाव के साथ खिलवाड़ बंद हो जाएगा।

बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि जिस तरह के सुझाव विभिन्न साझेदारों की तरफ से आए हैं, वे खाद्य तेलों की गैर-वाजिब महंगाई की समस्या हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं। मसलन, एक सुझाव यह आया कि खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क को डायनेमिक किया जाए। इसका मतलब यह है कि जब विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम बढ़ें तो सीमा शुल्क घटा दिया जाए और जब वहां दाम घट जाएं तो सीमा शुल्क बढ़ा दिया जाए। इससे घरेलू बाजार में जरूरत के वक्त और जरूरी मात्रा में ही तेल का आयात सुनिश्चित किया जाएगा।

हालांकि, खाद्य तेल उद्योग के संगठन सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआइटी) के चेयरमैन सुरेश नागपाल का विचार था कि आयात शुल्क या कृषि उपकर (सेस) घटाने से तिलहन उत्पादक किसान हतोत्साहित हो सकते हैं। नागपाल ने इसके बदले सरसों बीज व सरसों तेल पर लगने वाला पांच फीसद जीएसटी हटाने की सलाह दी।

पांडेय के मुताबिक पिछले कुछ समय के दौरान घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम 62 फीसद तक बढ़ गए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की महंगाई और भारतीय बाजार में इसके बढ़े दाम में कोई तारतम्यता नहीं दिखी है। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम अधिक बढ़े हैं। ऐसे में यह सभी साझेदारों और राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे दाम घटाने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

प्रमुख सुझाव

1.खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क डायनेमिक किया जाए।

2. सरसों बीज व सरसों तेल पर पांच फीसद जीएसटी हटा दिया जाए

3. खाद्य तेलों के वायदा कारोबार पर अंकुश लगाया जाए, सिर्फ डिलिवरी आधारित सौदे ही किए जाएं, अगर यह संभव नहीं हो तो सर्किट चार फीसद से घटाकर दो फीसद कर दिया जाए।

4. स्टॉक की तत्कालीन जानकारी की जिम्मेदारी बैंकों और सीमा शुल्क विभाग पर सौंपी जाए