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तुलसी की खेती का व्यापार कैसे शुरू करें | How To Start Tulsi Farming Business in Hindi

तुलसी की खेती का व्यापार कैसे शुरू करें (How To Start Tulsi Farming Business or High Profit Farming Business in Hindi)

भारत में हिन्दू रीति रिवाजो के अनुसार तुलसी एक पूजनीय पौधा है, जिसे हिन्दू धर्म का पालन करने वाले प्रत्येक लोग अपने घर में लगाते है और इसकी पूजा करते है. इसमें एक गुण यह भी है, कि यह पौधा रात में भी प्राणवायु ऑक्सीज़न ही उत्सर्जित करता है. इन सबके अलावा तुलसी एक औषधीय पौधा भी है, जिसकी पत्ति, तना, जड़ सभी भाग बहुत उपयोगी होते है. इसलिए आजकल लोग इसे व्यापारिक तौर पर उगाकर और उन्हे बाजार में बेचकर लाखो कि कमाई कर रहे है. आज हम अपने इस आर्टिकल के द्वारा आपको इस व्यापार और तुलसी की खेती से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे, जो आपको इस व्यापार को शुरू करने में बहुत सहायक होगी.

तुलसी के फायदे (Benefits Of Tulsi) –

तुलसी के पेड़ के फायदे निम्न है –

घर में आसानी से मिलने वाला तुलसी का पौधा साधारण से बुखार, कफ और गले में इन्फ़ैकशन में सहायक होता है.तुलसी आपके रोजाना की ज़िंदगी से तनाव को कम करने में भी मदत करती है, इसके अलावा यह किडनी में हुई पथरी को दूर करने में भी मदत करती है.तुलसी आपके हृदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक है इसके अलावा यह केंसर में भी लाभकारी है.अगर आप स्मोकिंग छोड़ना चाहते है, तो आपके लिए तुलसी एक उपयोगी पौधा है. तुलसी रक्त से शर्करा के स्तर को कम करने में भी सहायक है.तुलसी बालों और त्वचा को स्वस्थ रखने में भी सहायक है. इसके अलावा अगर आपको सिरदर्द है, तब भी आपके लिए तुलसी से बनी चाय बहुत ही उपयोगी साबित होगी.

भारत में तुलसी के प्रकार (Main Varieties Of Tulsi in India) –

भारत में तुलसी मुख्यतः दो तरह की होती है, एक जो गहरे रंग की होती है और जिसमें पर्पल रंग के फूल होते है उसे कृष्ण तुलसी कहते है. इसके अलावा एक तुलसी जिसमें हरे रंग के पत्ते होते है और काले रंग की मंजरी होती है तो उसे श्री तुलसी या राम तुलसी कहते है.

तुलसी की खेती के लिए आवश्यक जलवायु (Climate Required for Tulsi Farming)-

तुलसी हर तरह की जलवायु में एडजस्ट होने वाला बहुत ही साधारण सा पौधा है, परंतु यह उष्णकटिबंधीय और कटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादा फलता है. तुलसी के पौधे के पूर्ण विकास के लिए गरम जलवायु उपयोगी होती है. तुलसी के पौधे पाला बिलकुल बर्दाश नहीं कर पाते. इसलिए ऐसे क्षेत्र जहां दिन का समय पर्याप्त होता है वही इसकी कृषि संभव है.

तुलसी की खेती के लिए आवश्यक मृदा और जमीन तैयार करना (Climate Required and Land Preparation for Tulsi Farming) –

तुलसी का पौधा सामान्य मिट्टी में अच्छी तरह से पनपता है. ऐसी भुरभुरी  व दोमट मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी तरह से संभव हो इस औषधीय पौधे के लिए उपयोगी है. क्षारीय और कम लवण वाली मिट्टी में तुलसी अच्छी तरह से पनपती है.

तुलसी की फसल के लिए आपको सर्वप्रथम अपने खेतों में जुताई करवाकर उसे समतल कर लेना चाहिए. इसके बाद सिंचाई और पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करते हुये क्यारियाँ तैयार की जाती है.

अगर आप भी तुलसी की खेती करना चाहते है, तो आपको नर्सरी फरवरी के लास्ट में तैयार कर लेना चाहिए और इसके बाद आपको इन पौधो की रोपाई अप्रेल माह में कर सकते है. यह मूल रूप से बरसात की फसल है, जिसे गेंहू की फसल काटने के बाद लगाया जाना उपयुक्त होता है.

तुलसी की फसल तैयार करना (Preparation of Tulsi Crop)-

तुलसी की फसल तैयार करने के लिए इसे डाइरैक्ट खेतो में नहीं लगाया जाता, बल्कि पहले इसके बीजों से नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते है और फिर उन्हे खेतो में लगाया जाता है और फसल तैयार की जाती है.

तुलसी की खेती की संपूर्ण प्रक्रिया निम्न है –

पौधे तैयार करना – अगर आपके पास 1 हेक्टेयर कृषि भूमि है, तो आपके लिए तुलसी के 200 से 300 ग्राम बीजों से बने पौधे उपयुक्त होंगे. आपको पौधे तैयार करने के लिए बीज को जमीन से 2 से 3 सेंटीमीटर नीचे बोना होगा. जब आप बीज बोते है, उसके लगभग 8 से 12 दिन बाद इसमें से पौधे निकल आते है, परंतु आपकी रोपाई के लिए उपयुक्त 4 से 5 पत्ति वाले पौधे कम से कम 6 हफ़्तों में पूर्ण रूप से तैयार होते है.खेत में रोपाई करना – अब आपको अपने जुताई कर तैयार किए खेत में पौधो की रोपाई करना होता है. इसके लिए आपको नर्सरी में तैयार पौधों को खेत में लगाना होता है. जब आप पौधो को खेत में लगाते है, तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए, की आपकी तैयार की गई क्यारी में प्रत्येक लाइन में कम से कम 45 सेंटी मीटर की दूरी हो और प्रत्येक पौधे के बीच भी कम से कम 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी होना अनिवार्य है, तभी पौधे का संपूर्ण विकास संभव है.खाद और उर्वरक – तुलसी की खेती का मुख्य उद्देश्य औषधि बनाना होता है, इसलिए इसमें रसायनिक उर्वरक का उपयोग ना किया जाना ही बेहतर है. तुलसी की अच्छी फसल के लिए आप इसमें जैविक खाद का प्रयोग कर सकते है. और जैविक खाद में इस फसल के लिए आपके पास गोबर से बनी खाद और वर्मी कंपोस्ट अच्छे ऑप्शन है. अगर आप अपने खेत मे गोबर से बनी खाद का उपयोग करने वाले है, तो 1 एकड़ खेत में 10 से 15 टन गोबर की खाद सही रहती है, वही यदि आप वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करते है, तो एक एकड़ खेत में 5 टन खाद पर्याप्त होती है. और अगर आप अपने खेत में रसायनिक खाद का उपयोग बहुत ही जरूरी मानते है, तो आपको अपने खेत की मृदा की जांच के अनुसार ही इसका प्रयोग करना उचित रहेगा.सिंचाई – इस फसल में आपको पहली सिंचाई पौधे रोपे जाने के तुरंत बाद करना आवश्यक है. इसके बाद आप मिट्टी की नमी के मुताबिक सिंचाई कर सकते है. बरसात के मौसम में यदि बरसात होती रहे, तो इसमें सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती, परंतु गर्मी के मौसम में इसमें महीने में 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है.खरपतवार नियंत्रण – हर फसल के समय खरपतवार नियंत्रण हर किसान के सामने एक चुनौती भरा काम होता है. तुलसी की खेती में पहली निराई गुड़ाई पौधे रोपने के 1 महीने बाद करना चाहिए, वही 3 से 4 हफ़्तों बाद दूसरी बार निंदाई गुडाई करना आवश्यक है.कटाई – जब आप पौधो की रोपाई कर लेते है, उसके 10 से 12 सप्ताह बाद आप इनकी कटाई कर सकते है. आपको कब इन पौधो की कटाई करना है, इस बात का अंदाजा आप पौधो में लगे फूल और इनके निचले भाग में पीले पढ़ते पत्तों से भी लगा सकते है. आपको पौधो की कटाई करते वक़्त 25 से 30 सेंटीमीटर ऊपरी शाखाओ का चयन कर कटाई करना होता है.

इस तरह से आप प्रति हेक्टेयर लगभग 5 टन की फसल ले सकते है और आप एक साल में तुलसी की तीन फसले बहुत ही आसानी से ले सकते है.

तुलसी की खेती में निवेश और लाभ (Investment and Profit In Tulsi Farming) –

अगर आप तुलसी की खेती करना चाहते है, तो एक हेक्टेयर में तुलसी की खेती करने के लिए आपको लगभग 15 से 20 हजार रुपय खर्चा करने होंगे, हो सकता है कि आपको अपने स्थान विशेष में निराई, गुड़ाई और सिंचाई की सुविधाओ में कीमत मे कुछ अंतर मिले, तो इससे कुल लागत मे भी कुछ परिवर्तन होंगे, परंतु इसकी खेती का अप्रोस कीमत इसी के आस पास होती है.

अब अगर हम इस व्यापार में कमाई की बात करे, तो इसमें हम दो तरह से कमाई कर सकते है एक तुलसी के बीज बेचकर और दूसरा तुलसी का तेल बेचकर. तुलसी का तेल इसकी पत्तियों से तैयार किया जाता है. अगर आप इसकी उपज का अंदाजा लगाना चाहते है तो इसमें आप लगभग एक हेक्टेयर जमीन में लगभग डेढ़सौ किलोग्राम के आस पास बीज और दौसों किलोग्राम के आस पास तुलसी का तेल प्राप्त कर सकते है. इसके बीज की लगभग कीमत 200 रुपय किलोग्राम है वही इसका तेल 700 से 800 रुपय प्रतिलिटर बिकता है. अगर हम इस तरह से अंदाजा लगाए तो इस खेती में एक वर्ष मे लगभग 2 से 2.5 लाख रुपय की कमाई संभव है.

तुलसी की फसल को मार्केट में कैसे बेचे (How to sell Tulsi Crop In Market) –

आप चाहे तो इस फसल को डाइरैक्ट मार्केट में या मंडी में बेच सकते है और लाभ कमा सकते है. इसके अतिरिक्त आप सीधे किसी कंपनी के लिए भी फ़ार्मिंग कर उन्हे अपना माल सप्लाइ कर सकते है. अगर आप इस विकल्प का चयन करते है तो आपको मार्केट तक जाकर बाजार में अपनी फसल बेचने की कोई आवश्यकता नहीं होती बल्कि कंपनी आपके खेतो में आकर आपकी फसल खुद लेती है और आपको उसका उचित मूल्य प्रदान करती है.

आप भारत में पतंजलि और अन्य आयुर्वेदिक संस्थानों द्वारा जुड़कर एसी खेती कर सकते है और लाभ कमा सकते है.

आजकल सभी जगह आयुर्वेद का बोल बोला है, भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व का झुकाव आयुर्वेद की और बढ़ता जा रहा है. इसलिए आपके लिए आयुर्वेदिक फसलों की खेती भी फायदे का सौदा साबित हो सकती है. आप इसे आसानी से अपनाकर लाभ कमा सकते है. इस संदर्भ में अन्य किसी भी जानकारी में आप हमसे कमेंट बॉक्स में कमेंट के द्वारा  संपर्क कर सकते है. आशा करते है कि हमारा यह आर्टिक्ल आपके लिए उपयोगी होगा.

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