चुनाव से पहले भाजपा का यूसीसी वाला दांव, कैबिनेट में समिति के गठन का प्रस्ताव पास
गांधीनगर| गुजरात विधानसभा के चुनाव से पहले भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है| चुनाव से पहले कैबिनेट की आखिरी बैठक में आज गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) यानी समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए मूल्यांकन समिति गठित करने का फैसला किया गया है| इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्षता करेंगे| यूसीसी का सीधा मतलब है सभी नागरिकों के लिए समान कानून होंगे, फिर वह किसी भी धर्म या जाति से हो| गुजरात सरकार की कैबिनेट में किए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने बताया कि राज्य मं यूसीसी की आवश्यकता का मूल्यांकन और इसका प्रारूप तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के निवृत्त न्यायधीश की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी| उन्होंने कहा कि हम राम मंदिर निर्माण का लगाते हुए बड़े हुए हैं| हम कई दशकों से कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग करते रहे हैं| भाजपा हमेशा से समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में रही है| आज मैं गुजरात सरकार खासकर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने यूसीसी को लेकर एक पहल की है| उन्होंने कहा कि आपराधिक मामलों में कोई अलग कानून नहीं होता, लेकिन संपत्ति के बंटवारे समेत अन्य मामलों में अलग अलग नियम होने की वजह से विवाद होते हैं| रूपाला ने कहा कि कई दशकों से यह मुद्दा लटका पड़ा है| अब इस संदर्भ में एक समिति गठित करने का फैसला किया गया है और समिति के गठन का अधिकार मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को दिया गया है| केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार प्रारंभ से एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात करते आई है और इसका अमल व परिणाम भी धीरे धीरे देखते आए हैं| यूसीसी लागू होने से प्रत्येक व्यक्ति को एक समान अधिकार मिलेगा| इस नियम के लागू होने से शादी, तलाक के लिए सभी पर एक ही नियम लागू होगा| एक सवाल के जवाब में रूपाला ने कहा कि कांग्रेस अगर इस मुद्दे को महंगाई से जोड़ती है तो वह उसकी सोच है| हम इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं, इसलिए यूसीसी पर बात करते हैं| उन्होंने कहा कि यूसीसी लाने का मूल्य उद्देश्य नागरिक विवाद दूर करना है| इस कानून के लागू होने से संविधान में मिले अधिकार खत्म नहीं होंगे| यूसीसी के लागू होने से नागरिक विवाद में धर्म आधारित जो भेदभाव हैं उन्हें खत्म करना है| उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायधीश की अध्यक्षता गठित होने वाली चार सदस्यीय समिति जो भी अभिप्राय देगी उसके आधार पर इसका अमल करने पर सरकार कटिबद्ध है|