10 हजार किमी लंबी पक्की सड़कों वाले शहर में केवल 270 किमी स्टार्म वाटर लाइन
इंदौर। इंदौर शहर में मानसून सक्रिय हो चुका है। जल्द ही झमाझम बारिश शुरू हो जाएगी। ऐसे में जलजमाव की समस्या से साल-दरसाल जूझते रहे शहर में अब स्थिति और विकराल हो जाएगी, क्योंकि नगर निगम ने नाला टेपिंग कर ड्रेनेज आउटलेट की निकासी नदी-नालों में बंद कर दी है। इंदौर में करीब 10 हजार किमी लंबी पक्की सड़कें हैं, जिनमें से बरसाती पानी के निकास के लिए 270 किमी लंबी सड़कों पर ही स्टार्म वाटर लाइन बिछ पाई है। नईदुनिया की पड़ताल में जानकारी सामने आई कि शहर की प्रमुख या महत्वपूर्ण सड़कों की लंबाई 1000 किमी मानी जाए, तो भी महज 25 प्रतिशत बड़ी सड़कों पर ही बरसाती पानी की निकासी की व्यवस्था है।
बजट में रखे 50 करोड़ के उपयोग की संभावना कम
इंदौर नगर निगम के अधिकारी मानते हैं कि हर साल बारिश में शहर के 50 से 60 क्षेत्रों में जलजमाव होता है। पिछले साल के ही बजट की बात करें, तो निगम बजट में करीब 11 करोड़ रुपये का प्रविधान स्टार्म वाटर लाइन बिछाने के लिए किया गया था, लेकिन कोरोना या आर्थिक कारणों के कारण इस दिशा में काम नहीं हुआ। नगर निगम के 2021-22 के बजट में स्टार्म वाटर लाइन के लिए करीब 50 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है, लेकिन इसमें से आधी राशि का उपयोग भी हो जाए, इसकी संभावना कम है।
3 कारण इस साल परेशानियां बढ़ने के
– पहले बरसाती पानी बड़ी मात्रा में सड़कों से ड्रेनेज चैंबर में होता हुआ नदी-नालों के जरिए बाहर हो जाता था। नाला टेपिंग के बाद से शहर की ड्रेनेज और सीवरेज लाइन 100% उपयोग होने लगी हैं।
– शहर की ड्रेनेज लाइन खासतौर पर बारिश के पानी का दबाव सहने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि यदि बरसाती पानी ड्रेनेज लाइन में मिलता है, तो वे ओवरफ्लो हो जाते हैं और चैंबरों-लाइनों की गाद सड़कों पर बहने लगती है।
– नाला टेपिंग के दौरान निगम अफसरों ने दावा किया था कि अब शहर का बरसाती पानी सीधे जाकर नदीनालों में बहेगा, लेकिन यह दावा फेल हो गया। स्थिति और बिगड़ रही है।
विशेषज्ञ ने उठाए सवाल
निगम को बहुत पहले से चेता रहे थे कि अवैज्ञानिक तरीके से नाला टेपिंग नहीं करें। नाला टेपिंग करते हुए इंजीनियरिंग के मूलभूत सिद्धांतों को भी ताक पर रखा गया है। यदि किसी पाइप को आगे बढ़ाया जाता है, तो उसका डाया मीटर बढ़ाया जाना चाहिए, न कि उसे छोटा करना चाहिए। इंदौर में कई जगह यह गलती भी हुई है। – सुधींद्रमोहन शर्मा, जल विशेषज्ञ
नगर निगम का तर्क
नगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी के अनुसार, शहर के चैंबरों की नौ-10 महीनों से सफाई हो रही है। शहर की सभी ड्रेनेज लाइन चालू हैं। हर वार्ड के 30 से 40 चैंबर रोज साफ किए जाते हैं। अत्यधिक बारिश या ड्रेनेज में गंदगीकचरा आने से पानी अवरुद्ध होता है। जनकार्य विभाग दूसरी मर्तबा स्टार्म वाटर लाइन के चैंबर साफ करवा रहा है।
60 जगहों पर एक-दो दिन में शुरू होगा पानी की निकासी का काम
शहर में करीब 60 ऐसी जगह चिह्नित की गई हैं, जहां जल जमाव ज्यादा होता है। एक-दो दिन में वहां जल निकासी संबंधी इंतजाम शुरू होंगे, ताकि सड़कों पर भरने वाला बरसाती पानी जल्दी से नालों में बह जाए। – प्रतिभा पाल, निगमायुक्त
पहले 100 से 150 एमएलडी गंदा पानी नदी-नालों में बहता था, जो अब लाइनों में जा रहा है। जैसे-जैसे कमियां या समस्याएं सामने आ रही हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है। – संदीप सोनी, अपर आयुक्त, नगर निगम
इन क्षेत्रों में ज्यादा है समस्या
– द्वारकापुरी, तिलक नगर, पंचकुइया, टापू नगर, सिकंदराबाद कालोनी, भमोरी, विंध्यांचल कालोनी, कृष्णबाग कालोनी, एलआइजी, गीता नगर, बजरंग नगर, अनूप नगर और बीआरटीएस कारिडोर के कुछ हिस्सों में जल जमाव होता है।
– बीआरटीएस कारिडोर पर एमआर-9 से प्रेस काम्प्लेक्स के बीच हर साल काफी मात्रा में पानी भरता है।
– स्कीम-54 व स्कीम नंबर-74 जैसे पाश इलाकों के अलावा नगर निगम चौराहे पर भी जलजमाव की समस्या हो गई है।
– चैंबरों की सफाई के लिए निगम के पास करीब 1000 कर्मी हैं। इन चैंबरों की सफाई के बड़े अभियान केवल मानसून से पहले और स्वच्छता सर्वे के पहले छेड़ा जाता है। बारिश के दौरान पूरा फोकस केवल जलजमाव वाले क्षेत्रों में होता है।