आयुर्वेद विशेषज्ञों को 65 वर्षों में नहीं मिल पाया रिसर्च लैब
रायपुर। राजधानी का श्री नारायण प्रसाद अवस्थी शासकीय आयुर्वेद कॉलेज राज्य में आयुर्वेद चिकित्सा की नींव है। आयुर्वेद से बीमारियों के इलाज से लेकर इस कॉलेज ने बड़े-बड़े आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ दिए। लेकिन विडंबना देखिए कि 65 वर्षों बाद भी यहां के आयुर्वेद विशेषज्ञों को दवाओं और बीमारियों के शोध के लिए रिसर्च लैब नहीं मिल पाया।
स्थिति यह है कि चिकित्सा विशेषज्ञों को दवा व बीमारियों के शोध के लिए बाजार पर निर्भर होना पड़ रहा है। आयुर्वेद चिकित्सकों का मानना है कि शासन के दोयम दर्जे के बरताव की वजह से आज राज्य की आयुर्वेद चिकित्सा व्यवस्था गर्त में जा रही है। बता दें कि आयुर्वेद कॉलेज में 70 सीटें बीएएमएस और 66 सीटें पोस्ट ग्रेजुएशन की है। चिकित्सा छात्रों द्वारा हर साल 50 से अधिक रिसर्च किए जाते हैं।
आयुर्वेद शिक्षा और चिकित्सा के बीच शोध के लिए रिसर्च लैब नहीं होने की वजह से चिकित्सा छात्रों को बाहर से शोध करना पड़ता है। ऐसे में जहां चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता भी खराब हो रही है। बीमारियों के इलाज को लेकर भी समस्याएं सामने आ रही है। आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा शासन को कई बार लैब के लिए मांग की गई। लेकिन अब तक इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया।
चिकित्सकों को रिसर्च के लिए जरूरी लैब
-पैथोलाजी लैबोरेटरी : हेमेटोलॉजिकल, पैथोलाजिकल व बैक्टीरियोलॉजिकल जांच के लिए एडवांस पैथोलॉजी लैब।
-बायोकेमिस्ट्री लैबोरेटरी : आयुर्वेदिक औषधियों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए यह लैब की आवश्यकता।
-माइक्रोबायोलाजी : माइक्रोबायोलॉजिकल जांच के लिए आवश्यक लैब।
-फार्मेसी : आयुर्वेदिक एकल द्रव्य व औषधियों की गुणवत्ता जांच, उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली औषधियों को चिन्हित करने के लिए।
-फार्माकोग्नोसी : दवा की गुणवत्ता और शुद्धता की जांच करने के लिए जरूरी है।
-फार्मेको इन फार्मेटिव लैब : रिसर्च डाटा कलेक्ट कर उसकी जांच के लिए यह लैब आवश्यक।
-एनिमल हाउस : शोध कार्य के लिए महाविद्यालय में जरूरी।
तीन लैब के लिए प्रस्ताव तैयार
आयुर्वेद चिकित्सा की गुणवत्ता को प्रभावित होता हुआ देख आयुर्वेद कॉलेज प्रबंधन अब रिसर्च लैब के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसमें फार्मेकोलॉजी, फार्माकोग्नोसी, फार्मेको इन फार्मेटिव के लिए योजना बनाई जा रही है। जबकि बाकी लैब के लिए किसी तरह का प्लान तैयार नहीं है। जिस लैब के लिए योजना बनाई जा रही है।
आयुर्वेद कॉलेज पर एक नजर
70 सीटें हैं बीएएमएस की
350 से अधिक यूजी छात्र अध्ययनरत
66 सीटें आयुर्वेद में पीजी के लिए
198 से अधिक पीजी चिकित्सक अध्ययनरत
50 से अधिक शोध होते हैं हर साल
04 शोध से अधिक प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड किए जाते हैं
चिकित्सा प्राध्यापकों की स्थिति
74 चिकित्सा प्राध्यापकों के पद स्वीकृत
59 पदों पर वर्तमान में नियुक्ति
आयुर्वेद अस्पताल पर नजर
300 से अधिक मरीज आते हैं ओपीडी में
165 बिस्तरों का है अस्पताल
08 क्लीनिकल विभाग
224 बिस्तर करने की आवश्यकता
वर्जन
आयुर्वेद कॉलेज में रिसर्च के लिए लैब की जरूरत है। हमने फार्माकोग्नोसी, फार्मेको इन फार्मेटिव, फार्मेसी रिसर्च लैब के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। इसे जल्द ही शासन को भेजेंगे।
– डा. जीएस बघेल, प्राचार्य, शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर