ब्रेकिंग
बृजमोहन अग्रवाल का जन्मदिन माता देवालय वार्ड तालाब समीप में झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ ने वार्डवासियों के साथ मनाया रायपुर लोकसभा में इस बार भाजपा का तिलस्म टूटेगा,विकास उपाध्याय की होगी अच्छी जीत:- भूपेश बघेल रायपुर लोकसभा में इस बार भाजपा का तिलस्म टूटेगा,विकास उपाध्याय की होगी अच्छी जीत:- भूपेश बघेल भाटापारा विधायक इन्द्र साव ने कांग्रेस की महालक्ष्मी नारी न्याय गारंटी का शुभारंभ किया थाना भाटापारा ग्रामीण पुलिस द्वारा भाटापारा क्षेत्र निवासरत एक बडे मोटरसाइकिल चोर गिरोह का किया गया पर्दाफाश मोटरसाइकिल चोर गिरोह के एक अपचारी बालक स... भाजपा सांसद सक्रिय होता तो क्षेत्र की इतनी दुर्दशा नही होती:-विकास उपाध्याय क्षेत्र की जनता ने जिस प्रकार विधानसभा में कांग्रेस को जिताया है,उसी प्रका... भाजपा सांसद सक्रिय होता तो क्षेत्र की इतनी दुर्दशा नही होती:_विकास उपाध्याय। क्षेत्र की जनता ने जिस प्रकार विधानसभा में कांग्रेस को भारी मतों से जिता... रायपुर के कांग्रेस भवन में भाटापारा विधायक इन्द्र साव का जन्मदिवस मनाया गया लोकसभा चुनाव से पहले बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें, महादेव एप में छत्‍तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के खिलाफ FIR दर्ज सतगुरू कबीर संत समागम समारोह दामाखेड़ा पहुंच कर विधायक इन्द्र साव ने लिया आशीर्वाद

रेडिएशन से किस्म सुधारकर बढ़ा रहे उपज, मूल गुणों में केवल दो से चार फीसद ही बदलाव

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि विज्ञानी किसानों की आमदनी बढ़ाने में लगे हुए हैं। इसके लिए फसलों की किस्मों में रेडिएशन (विकिरण) के माध्यम से सुधार करके इनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। पांच साल में आठ बार नई किस्मों को खेतों में लगाया जाता है, इसके बाद इनके बेहतर परिणामों को देखकर किसानों को बीज दिया जाता है। कृषि विज्ञानियों ने दावा किया है कि किसी भी फसल के किस्म में सुधार के बाद उनके मूल गुणों में केवल दाे से चार फीसद ही बदलाव हो रहा है।

रेडिएशन का कोई हानिकारक प्रभाव भी नहीं है। साथ ही किसान सीधे इन किस्मों के बीज को सुरक्षित रख सकते हैं। कृषि विवि ने भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर मुंबई की मदद से रेडिएशन टेक्नालाजी के जरिए धान के विभिन्न पांच किस्मों समेत बरवटी, मटर की किस्मों में सुधार किया गया है ।

आठ पीढ़ी के बाद किस्म आती है किसानों के पास

भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर, मुंबई के वैज्ञानिकों में डा. वीके दास और डा. विकास कुमार ने बताया कि किस्म सुधार के दौरान जब बीज पर रेडिएशन डालते हैंं तो बीज के डीएनए में कुछ जीनोम बदल जाते हैं। बदलाव इसलिए होते हैं क्योंकि रेडिएशन डालने पर इनके टुकड़े हो जाते हैं। इनका अरेजमेंट बदल जाता है। यही बदलाव हमको पौधों के गुणों में परिवर्तन के रूप में देखने को मिलता है।

यदि किसी पौधे की ऊंचाई छोटी करनी है इसके इससे संबंधित जीन में रेडिएशन देेते हैं तो इसमें बदलाव हो जाता है। डेढ़ से दो लाख पौधे एक साथ लगाते हैं और इनमें जो अच्छे गुण वाले हो हैं, उन्हें आठ पीढ़ी तक खेत में लगाते हैं ताकि उसके गुण स्थिर हो जाएं तभी इसे किसानों के लिए देते हैं।

अन्य किस्मों में होगा सुधार

कृषि विवि के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर डा. दीपक शर्मा के मुताबिक कृषि विज्ञानी अभी हरा, चना काला चना, अरहर, तिलहन फसलों में मूंगफली, सरसों, अलसी, तिल, कुसुम, राम तिल, नकदी फसल, गन्ना और बागवानी फसलों – हल्दी, लौकी, फूलों वाली फसलों में सुधार करने में लगे हैं।

मूल फसलों से बनीं उन्नत किस्मों से बढ़ा उत्पादन

किस्म समय ऊंचाई उत्पादन क्विंटल में

नगरी दूबराज 150 दिन 150 सेमी 30-32 प्रति हेक्टेयर

दूबराज उन्नत 120 दिन 120 सेमी 40-45 प्रति हेक्टेयर

सफरी – 17 150 दिन 150 सेमी 40-45 प्रति हेक्टेयर

सफरी-17 उन्नत 120 दिन 107 सेमी 60-65 प्रति हेक्टेयर

सोनागांठी 155 दिन 120 सेमी 45-50 प्रति हेक्टेयर

ट्रांबे सोनागांठी 140 दिन 116 सेमी 62-65 प्रति हेक्टेयर

केस 01: नगरी दूबराज से बढ़ रही आमदनी

नगरी दूबराज की नई किस्म की धान को तैयार करने में अब 150 की बजाय 120 दिन लग रहा है। प्रति हेक्टेयर 10 से 15 क्विंटल अधिक उत्पादन हो रहा है। धमतरी के किसान इसकी खेती कर रहे हैं।

केस 02

कृषि विज्ञानियों ने विष्णु भोग की मूल धान की किस्म में सुधार करके उन्नत किस्म ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णु भोग म्यूटेंट नाम दिया है। बिलासपुर के किसान नई किस्म से खेती कर रहे हैं।

वर्जन

प्रदेश में अभी 150 फसलों की मूल किस्मों में सुधार कार्य किया जा रहा है। आने वाले समय में नई उन्नत किस्में किसानों के उत्पादन बढ़ाने में कारगर होगी।

– डा. एसके पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर