मुख्य न्यायाधीश ने बताया रोल मॉडल तो भावुक हो उठीं न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा, सुप्रीम कोर्ट में दिलचस्प वाकया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा। अपने कार्यकाल के अंतिम दिन महिला न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शुक्रवार को आखिरी बार बेंच पर बैठीं। वह देश की पहली महिला अधिवक्ता हैं जिनका सीधे सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति नियुक्त किया गया है। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की जमकर तारीफ की। सीजेआई (Chief Justice of India) ने कहा कि मुझे नहीं पता कि जस्टिस मल्होत्रा से बेहतर न्यायाधीश भी कोई है। इस पर न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भावुक हो गईं।
जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत में न्यायमूर्ति के तौर पर मेरा कार्यकाल तीन साल से भी कम रहा है लेकिन मैं संतुष्ट भाव से सेवानिवृत हो रही हूं। न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे समेत बार के अन्य सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं देश की सर्वोच्च संस्था का हिस्सा बनकर बहुत धन्य हूं। वह आगे नहीं बोल सकीं तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं उस भावना को समझ सकता हूं जो आखिरी दिन होती है। हम किसी दूसरे दिन आपका भाषण सुनेंगे
मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस मल्होत्रा के कार्यकाल के अंतिम दिन यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट की परंपरा के मुताबिक सेवानिवृत्त होने वाले न्यायाधीश को अपने कार्यकाल के अंतिम दिन मुख्य न्यायाधीश के साथ बैठना होता है। मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने यह भी कहा कि उन्होंने जस्टिस मल्होत्रा से बेहतर जज नहीं देखा है। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा- मैं जस्टिस मल्होत्रा के न्यायिक कौशल के बारे में कुछ भी कहना नहीं चाहता हूं। जस्टिस मल्होत्रा के फैसले ज्ञान, विवेक और दृढ़ता से भरे हुए रहे हैं।
जस्टिस बोबडे ने यह भी कहा कि न्यायमूर्ति मल्होत्रा युवा अधिवक्ताओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जस्टिस मल्होत्रा सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीशों में से एक हैं। यह दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होना पड़ता है। न्यायमूर्ति मल्होत्रा को भी सेवानिवृत्त होना पड़ेगा। वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति मल्होत्रा की तारीफ करते हुए कहा कि हमें इस महान न्यायाधीश की कमी खलेगी। जस्टिस मल्होत्रा ने सबरीमला मामले में संवैधानिक नैतिकता पर बेहद महत्वपूर्ण फैसला दिया था।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं मुकुल रोहतगी, पीएस नरसिम्हा, वी मोहना और अन्य वकीलों ने जस्टिस मल्होत्रा की तारीफ की। वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र 70 वर्ष की जानी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश को एक महिला न्यायाधीश के साथ न्यायमूर्ति मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति के बाद बनने वाली रिक्ति को भरने के लिए कदम उठाना चाहिए। न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा ने अपने योगदान को स्वीकार करने के लिए शीर्ष अदालत के न्यायमूर्तियों का आभार जताया।