रायपुर के कोटा में सेना के जवान की जमीन को बता रहे सरकारी, नौकरी छोड़ने का किया एलान
रायपुर। राजधानी के कोटा स्थित सेना का एक जवान और उनका परिवार जमीन के विवाद में फंसकर परेशान हो गया है। भारतीय सेना में पदस्थ जवान एनके वर्मा ने 2012 में जिस जमीन को खरीदा था उसे अब सरकारी जमीन बताया जा रहा है। जवान के सपनों का आशियाना बनने से पहले ही बिखर गया है। इस विवाद से तंग आकर जवान ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार से शिकायत की है।
सेना के जवान ने न्याय नहीं मिलने पर नौकरी छोड़ने का भी एलान कर दिया है। इस संबंध में जवान ने अपना एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर जारी कर दिया है। आरोप है कि पटवारी, राजस्व निरीक्षक, नगर निगम के जोन कमिश्नर और राजस्व अधिकारियों की लापरवाही से जवान का सपना टूट चुका है। जवान की पत्नी अपने घर को बनाने के लिए भटकने को मजबूर है। जवान को इन मामलों को सुलझाने के लिए छुट्टी नहीं मिल पाती है, पत्नी को कार्यालयों में भटकना पड़ रहा है, ऐसे में मजबूरी में नौकरी छोड़ने की बात कर रहे हैं।
जब खरीदा था तब सरकारी व्यवस्था ने ही बताया था निजी
जवान की पत्नी रूपाली वर्मा ने बताया कि हमने पाई-पाई जोड़कर 29 मई 2012 को कोटा में करीब एक हजार स्क्वायर फीट जमीन खरीदा था। गोपीकृष्ण के पास 4000 स्क्वायर फीट प्लाट का एक टुकड़ा था, जिसे अलग-अलग लोगों ने खरीदा है। रुपाली ने बताया कि हमने कोटा के रहने वाले निजी व्यक्ति गोपीकृष्ण अग्रवाल से जमीन खरीदी थी। इसका डायवर्सन और सीमांकन कराया। इसके बाद नया खसरा नंबर मिला है।
साल 2015-16 में इसका सीमांकन कराया और इसके लिए अखबारों में इश्तहार भी दिया। पटवारी से रिकॉर्ड भी चेक करया। उस समय इसे निजी जमीन बताई थी इसके बाद छह मार्च 2020 को भवन अनुज्ञा लेकर निर्माण कार्य शुरू कराया। इसके बाद 16 मार्च 2020 को जोन कमिश्नर आए और हमारे बोर खनन और निर्माण पर रोक लगा दिया। इसके बाद कलेक्टर से मिलने गए। उन्होंने कहा अभी तक प्रतिबंध नहीं है।
तहसील ने भेजा पत्र यह सरकारी जमीन है
रुपाली ने बताया कि इसके बाद निर्माण कार्य में लगातार रुकावट पेश की गई। चार मई तो तहसील कार्यालय से एक पत्र आया कि यह सरकारी जमीन है। लॉकडाउन के कारण हमने निर्माण कार्य रोक दिया था। इसके बाद जैसे ही काम चालू किया वैसे ही तहसील के अधिकारियों ने कह दिया कि यह सरकारी जमीन है। इसके बाद नगर निगम जोन कमिश्नर ने भी भवन निर्माण के लिए जारी अनुज्ञा को ही निरस्त कर दिया। सवाल यह है कि पहले किस आधार पर अनुज्ञा जारी किया गया था
गर्भवती होने के बाद भी भटकती रही जवान की पत्नी
जवान की पत्नी ने रूपाली ने बताया कि वह गर्भवती रहीं इसके बाद भी घर बनवाने के लिए लगातार कार्यालयों में घूमती रहीं। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। सवाल किया है एक ही दफ्तर से जमीन के दो दस्तावेज कैसे जारी हो सकते हैं। हमें परेशान करने की बजाय जिन अफसरों की गलती है उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने अफसरों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि मैं लगातार इस जमीन का टैक्स भी पटा रही हूं।
सरकारी जमीन की हेराफेरी
सरकारी जमीन पर शिकायत के बाद कलेक्टर ने 2019 में जांच कराई थी। इसमें सीमांकन के बाद खसरा क्रमांक 150/3 में 1.072 हेक्टेयर जमीन में 28 लोगों का कब्जा होने का मामला पर्दाफाश हुआ था। इसके पहले अधिकारियों ने सीमांकन करके इसी जमीन को निजी जमीन बताया था। ऐसे में कई परिवारों के खुद के आशियाना होने का सपना टूट रहा है। आज तक किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
वर्जन
हम सेना के जवानों का सम्मान करते हैं, जमीन सरकारी होने की बात सामने आ रही है। इसकी नए सिरे से जांच कराएंगे, जवान के परिवार के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।
– प्रणब सिंह, एसडीएम, रायपुर