जमानत याचिकाओं पर पूर्ण प्रतिबंध कैदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत याचिकाओं या सजा निलंबन से संबंधित याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर पूर्ण प्रतिबंध कैदी की निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि इस तरह का आदेश देकर राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश खुद को आवंटित न्यायिक कार्य से परे चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक असाधारण मामले में की, जहां राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने ही न्यायाधीश के दो आदेशों के खिलाफ शीर्ष अदालत से संपर्क किया है।
इनमें से एक आदेश पिछले साल 31 मार्च को पारित किया गया। इसमें रजिस्ट्री को जमानत याचिकाओं, अपील, सजा निलंबन के आवेदन और अत्यावश्यक मामलों की श्रेणी में समीक्षा संबंधी याचिकाओं को तब तक सूचीबद्ध न करने को कहा गया था, जब तक कि केंद्र राष्ट्रव्यापी लाकडाउन को नहीं हटाता।
उसी न्यायाधीश ने 17 मई, 2021 को एक अन्य आदेश में पुलिस को निर्देश दिया था कि वह तीन साल तक की कैद की सजा वाले अपराधों में 17 जुलाई तक आरोपितों की गिरफ्तारी न करे। हाई कोर्ट ने अपने न्यायाधीश के इन दोनों आदेशों के खिलाफ शीर्ष अदालत से संपर्क किया।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, हमारे मत में 31 मार्च, 2020 और 17 मई, 2021 के आदेशों ने उस अदालत के न्यायाधीशों को आवंटित कार्य के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों का अतिक्रमण किया है।