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एनआइए ने कहा-पक्षकार बनाने की जरूरत नहीं, केंद्र ने मांगा समय

बिलासपुर। झीरम घाटी हत्याकांड में आपराधिक षडयंत्र को लेकर दरभा थाने में दर्ज आपराधिक प्रकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने जितेंद्र मुदलियार को पक्षकार बनाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आवेदक को पक्षकार बनाने की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकरण में केंद्र सरकार की ओर से बहस के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए सुनवाई सात अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है।

इस घटना में कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार ने जून 2020 में दरभा थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई है। उनकी रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 302 और 120 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। दरभा थाने में दर्ज रिपोर्ट को चुनौती देते हुए एनआइए ने निचली अदालत में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।

इसके बाद एनआइए ने हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर की है। इसमें कहा गया है कि एनआइए केंद्रीय स्तर की जांच एजेंसी है, जिसकी जांच हो चुकी है। ऐसे में राज्य शासन को अधिकार नहीं है कि फिर से उसी प्रकरण में अपराध दर्ज कराई जाए। इस मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आपराधिक प्रकरण की जांच पर रोक लगाई है।

इधर इस मामले में जितेंद्र मुदलियार ने हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की है। उनके वकील संदीप दुबे का कहना है कि झीरम हमला सामान्य नक्सली घटना नहीं है। बल्कि यह राजनीतिक षडयंत्र के तहत कराई गई है। उन्होंने याचिकाकर्ता जितेंद्र को भी पक्षकार बनाने का आग्रह किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस मनिंद्र श्रीवास्तव एवं जस्टिस विमला कपूर की बेंच में चल रही है।