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परदेस से लौटे, अब घर जाएं कैसे, बिलासपुर स्टेशन के बाद श्रमिक व आटो चालकों के बीच हो रही बहस

बिलासपुर। लाकडाउन और इस दौरान बनाए गए नियम परदेस से ट्रेनों से लौटे श्रमिकों के लिए मुसीबत बन गए। बुधवार को जोनल स्टेशन से बाहर निकलने के बाद घर जाने को वे संसाधन ढूंढते रहे। इस दौरान उन्हें आटो ही मिली। वे तैयार भी हो गए पर किराया सुनकर श्रमिकों के होश उड़ गए। जांजगीर-चांपा जाने का किसी ने 1800 रुपये किराया बताया तो कोई दो हजार रुपये देने पर जाने को अड़ा रहा। किराए को लेकर बहस भी होती रही। भीड़ व अव्यवस्था देखकर पुलिस पहुंची। इस बीच दोनों को समझाइश दी कि बेवजह भीड़ न लगाएं। आपसी बातचीत कर जितनी जल्दी हो चले जाएं

यह नजारा सुबह 10 बजे से लेकर शाम तक रहा। दरअसल कुछ राज्यों को छोड़कर सभी जगहों पर लाकडाउन लग गया है। पिछले साल इसमें फंसने वाले श्रमिक दोबारा उसी तरह के हालात न निर्मित हो, यही सोचकर लौटने लगे हैं। बुधवार को तो अन्य दिनों की अपेक्षा श्रमिकों की ज्यादा भीड़ नजर आई। सभी निजामुद्दीन-दुर्ग संपर्कक्रांति स्पेशल ट्रेन में दिल्ली से लौटे थे। स्थिति सामान्य होने के बाद सभी दोबारा कमाने-खाने छत्तीसगढ़ से चले गए थे। स्टेशन में जांच कराने के बाद जैसे ही बाहर निकले तो और दिनों की अपेक्षा रेलवे स्टेशन में भीड़ कम थी। यहां तक कि आटो की संख्या भी कम ही थी।

तब उन्हें पता चला कि बिलासपुर में भी लाकडाउन शुरू हो गया है। परदेस से लौटकर घर जाने की परेशानी सामने आने के बाद ज्यादातर श्रमिकों ने आटो किराए पर लेकर जाने का निर्णय लिया। इसके बाद वे चालक के पास पहंुचकर किराया तय करने लगे। आटो चालकों ने भी अवसर का फायदा उठाया और ऐसे किराया बताया कि श्रमिक सोच में पड़ गए। श्रमिक चालकों से वाजिब किराया बताकर उतने में जाने को कहने लगे। पर चालक नहीं माने।

उन्होंने साफ कहा कि साफ निर्देश है कि आटो में केवल तीन सवारी ही बैठाना है। यदि नियम तोड़ेंगे तो कार्रवाई भी हो सकती है। आटो चालक व श्रमिकों की इसी भीड़ की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहंुच गई और दोनों को जमकर फटकार लगाई। उन्हें बताया गया कि संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। इस तरह भीड़ में खड़ा होना नियमों का उल्लंघन है। पुलिस की समझाइश के बाद लोग माने और जिन्हें किराया जम गया वे श्रमिक घर रवाना हो गए

मुंगेली, लोरमी व कोटा के भी श्रमिक

बिलासपुर लौटने वाले श्रमिकों में जांजगीर-चांपा के अलावा मुंगेली व लोरमी के भी थे। कोई राजस्थान से पहुंचे थे तो कई कोलकाता की ओर से आए थे। सभी को घर जाने के लिए संसाधन की समस्या से जूझना पड़ा।

बस नहीं चलना समस्या की मुख्य वजह

लाकडाउन को देखते हुए बस मालिकों ने बसों का परिचालन बंद कर दिया है। श्रमिकों को इसी वजह से समस्या हुई। कुछ लोग बस स्टैंड भी इसी उम्मीद के साथ पहुंच गए कि वहां से बस सुविधा मिल जाएगी, पर वहां जाकर पता चला कि बसें नहीं चल रही हैं। इसके बाद आटो या अन्य संसाधनों से घर जाना पड़ा।

पीपीई किट नहीं, सुबह बिना जांच यात्री निकले बाहर

जोनल स्टेशन में बुधवार को सुबह 10 बजे से पहले तक जितनी भी ट्रेनें आईं उनमें से उतरने वाले ज्यादातर यात्रियों की कोरोना जांच नहीं हो सकी। पीपीई किट खत्म होने के कारण स्वास्थ्य कर्मियों ने जांच से हाथ खींच लिया, क्योंकि अभी बाहर से आने वाले ही ज्यादा संख्या में संक्रमित मिल रहे हैं।

थोड़ी सी असावधानी संक्रमण की वजह बन सकती थी। इसलिए थर्मल स्क्रीनिंग की औपचारिकता करते ही यात्रियों को बाहर जाने की अनुमति दे दी गई। भले ही व्यवस्था बाद में सुधर गई, लेकिन जिस समय जांच नहीं हुई उस दौरान यदि संक्रमित यात्री भी निकल गए होंगे तो यह अव्यवस्था भारी पड़ सकती है।