जैश और लश्कर के आतंकी पहुंचे अफगानिस्तान, सुरक्षा एजेंसियों को लगी पाकिस्तानी साजिश की भनक
नई दिल्ली। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां फिर से तालिबान के सत्ता में आने की आशंका बन रही है। ऐसे में भारतीय खुफिया एजेंसियों को कुछ बेहद चिंताजनक सूचनाएं मिली हैं। सूचना यह है कि पाकिस्तान सेना की तरफ से तैयार आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य पहले से ही अफगानिस्तान में मौजूद हैं। भारत को इस बात की चिंता है कि जिस तरह से पूर्व में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने तालिबान व अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों की मदद से भारत विरोधी ऑपरेशंस किये थे उसका दोहराव ना हो।
माना जा रहा है कि भारत इस बारे में अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क में है ताकि और पुख्ता जानकारी हासिल हो। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि पिछले वर्ष की शुरुआत में जब फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का दबाव पाकिस्तान पर बढ़ने लगा था तब आइएसआइ ने बहुत ही चालाकी से जैश व लश्कर के कई कुख्यात आतंकियों को अफगानिस्तान भेज दिया था। पाकिस्तान पहले भी यह काम करता रहा है।
जैश के मुखिया मसूद अजहर को भारतीय जेल से रिहा कराने के बाद अफगानिस्तान में रखा गया था और इसने वहां तालिबान के साथ मिल कर जैश को पूरी तरह से स्थापित किया था। पिछले वर्ष अफगानिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने जब नंगरहर में कार्रवाई की थी तब कई जैश के आतंकियों के मारे जाने की सूचना भारत को दी गई थी।
इसके अलावा पिछले वर्ष कश्मीर में मारे गये पाकिस्तानी आतंकियों में से कम से कम पांच ऐसे आतंकी शामिल हैं जिन्होंने अफगानिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। यही वजह है कि भारत अब ज्यादा चिंतित है। अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने में सफल होता है तो वह पाकिस्तान के इशारे पर भारत विरोधी गतिविधियों को और हवा देने की स्थिति में होगा। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत से लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दो दिनों में अफगानिस्तान के हालात को लेकर जो चिंता प्रकट की है। उसके पीछे वजह भी यहीं है।