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सरगुजा वनवृत्त के 117 में से 104 हाथी अभयारण्य क्षेत्र में

अंबिकापुर। खेतों में खड़ी फसलों की कटाई और चारे का प्रबंध नहीं होने से सरगुजा वन वृत्त में 104 हाथियों ने अभयारण्य क्षेत्र में शरण ले ली है।75 हाथी तमोर पिंगला और बादलखोल अभयारण्य क्षेत्र में तो 29 हाथियों का दल गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में पहुंच गया है।

अभयारण्य क्षेत्र में हाथियों के चले जाने से वन विभाग को भी बड़ी राहत मिली है। अभयारण्य क्षेत्र में पूर्व के वर्षों में वन विभाग और एलीफेंट रिजर्व की ओर से हाथियों के चारा-पानी के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।जंगल में जगह-जगह स्टाप डेम का निर्माण कराया गया है।

प्राकृतिक जल स्रोतों को बांधकर हाथियों के रहवास के अनुकूल वातावरण देने की कोशिश की गई है। बरगद,पीपल सहित दूसरे पौधे लगाए गए थे जो अब बड़े हो चुके हैं। इनके अलावा घने जंगलों में हाथियों के लिए पर्याप्त चारे की उपलब्धता होने के कारण गर्मी के सीजन में वे अभयारण्य क्षेत्र से बाहर आना नहीं चाहते।

यह पहला अवसर है जब इतनी बड़ी संख्या में हाथियों ने गर्मी की शुरुआत में ही अभयारण्य क्षेत्र की ओर रुख कर लिया है। पूर्व के वर्षों में देखा गया था कि हाथी इस सीजन में भी आबादी क्षेत्रों के नजदीक विचरण किया करते थे। खेतों में फसल नहीं मिलने के कारण हाथियों द्वारा घरों में तोड़फोड़ और अनाज खाने की घटनाएं लगातार होती थी लेकिन इस साल परिस्थितियां बदली है। सिर्फ तेरह हाथियों का एक दल प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहा है।

इस सीजन में आबादी क्षेत्रों के नजदीक हाथियों के विचरण को ज्यादा खतरनाक माना जाता है।इसी सीजन में ग्रामीण महुआ बीनने और तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए जाते हैं। वन मार्गों का उपयोग भी किया जाता है।जिस वक्त महुआ बीनने और तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए सुबह के वक़्त ग्रामीण जंगलों में जाते हैं उसी समय हाथियों का आबादी क्षेत्रों की ओर से जंगल लौटने का समय होता है।

इसी समय हाथों से आमना-सामना होने के कारण जनहानि की घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। आबादी क्षेत्रों के नजदीक हाथियों की कम संख्या होने के कारण वन विभाग को भी थोड़ी राहत मिली है। सरगुजा और बलरामपुर जिले में हाथियों की मौजूदगी नहीं है।

सूरजपुर जिले का प्रतापपुर वन परिक्षेत्र हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित माना जाता है।यहां वर्ष भर हाथियों की मौजूदगी होती है। पूर्व के वर्षों में इस सीजन में भी हाथियों की संख्या अधिक होती थी लेकिन इस साल ज्यादातर हाथी अभयारण्य क्षेत्र की ओर चले गए हैं। खरीफ फसल के सीजन में हाथियों का दल फिर अभयारण्य क्षेत्र से वापस आबादी क्षेत्रों के नजदीक जंगलों में पहुंचेगा।