बेटी की बीमारी से परेशान आयुर्वेद अधिकारी लगातीं रहीं गुहार
बिलासपुर।अपनी बेटी की गंभीर बीमारी से परेशान बेमेतरा की आयुर्वेद अधिकारी की अफसरों के चक्कर काट-काटकर गुहार लगातीं रहीं। लेकिन, उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, हाई कोर्ट ने उनकी फरियाद सुन ली है। उनकी बेटी की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने राज्य शासन को मानवीयता के आधार पर तबादला करने का आदेश दिया है।
डा. सविता गोलन आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में आयुर्वेद अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। पिछले कुछ सालों से वे बेमेतरा में पदस्थ हैं। उनके पति दुर्ग में शासकीय चिकित्सक हैं। लिहाजा, उनका परिवार दुर्ग में ही रहता है। उनकी बेटी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। इस पर पति-पत्नी की साथ पदस्थापना के नियम व बेटी की बीमारी से उपजी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपना स्थानांतरण करने के लिए आवेदनपत्र दिया। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। इस बीच वे अपने तबादला संबंधी फरियाद लेकर कई बार अधिकारियों का चक्कर काट चुकी हैं।
साथ ही कइयों बार आवेदनपत्र भी प्रस्तुत कर चुकी हैं। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने अपने अधिवक्ता विकास दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट की शरण ली। याचिका में अपनी बेटी की मेडिकल रिपोर्ट के साथ ही पति की पदस्थापना संबंधी जानकारी प्रस्तुत की गई। याचिकाकर्ता के वकील ने भी कोर्ट में शासन के स्थानांतरण नीति में पति-पत्नी के आधार पर प्राथमिकता देने संबंधी नियमों के साथ ही अन्य प्रविधानों की जानकारी दी गई।
शासन के दिशानिर्देशों के आधार पर याचिकाकर्ता को अपने पति व बेटी के साथ रहते हुए कार्य करने का अवसर देने की मांग की गई। इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस पीसेम कोशी ने याचिकाकर्ता की पुत्री के मेडिकल रिपोर्ट को देखते हुए एवं शासकीय डा. पति की पदस्थापना दुर्ग में होना पाते हुए मानवीय आधार पर दो माह के भीतर याचिकाकर्ता का स्थानांतरण दुर्ग में करने का आदेश दिया है।