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लक्षण आते ही शुरू कर दें इलाज, जांच रिपाेर्ट के इंतजार में कहीं देर न हो जाए

ग्वालियर। लक्षण आने पर जांच जरूर कराएं पर रिपोर्ट के इंतजार में इलाज लेने से न चूकें। लक्षण आते ही तत्काल डाक्टर से परामर्श कर इलाज शुरू करें। कहीं ऐसा न हो कि जांच के इंतजार में देर हो जाए। क्योंकि निजी पैथोलॉजी से आरटीपीसीआर की जांच आने में तीन से पांच दिन लग रहे हैं और सरकारी लैब से 24 से 48 घंटे का वक्त लग रहा है। ऐसा भी देखा गया कि जिन लोगों की जांच निगेटिव आई उनके लंग्स में संक्रमण पाया गया। जेएएच के डा. विजय गर्ग का कहना है कि लक्षण आने पर इलाज लेने में देर न करें।

देरी से आ रही जांच रिपोर्ट से बढ़ रही परेशानीः लक्षण आने पर लोग कोरोना की जांच करा रहे हैं। सरकारी केंद्र पर सैंपल देने वालों की जांच रिपोर्ट आने में 24 से 48 घंटे का वक्त लग रहा, तो निजी लैब से जांच रिपोर्ट पांच दिन पुरानी भी अभी तक उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इन संस्थानों का कहना है कि सैंपल संख्या अधिक होने से जांच रिपोर्ट में देरी लग रही है। निजी लैब से तीन से पांच दिन में जांच रिपोर्ट जारी हो रही है। इस दौरान मरीज की हालत बिगड़ जाती है और रिपोर्ट न होने के कारण उसे कहीं पर भर्ती होने का स्थान भी नहीं मिल पाता। जिन लोगों को सामान्य लक्षण होते हैं, जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम वह घर से बाहर भी निकलते और संपर्क में आने वालों को संक्रमित कर सकते हैं। इससे कोरोना अपनी रफ्तार पकड़ रहा है।

जांच रिपोर्ट में देरी हो तो क्या करेंः सैंपल देने के बाद जब तक जांच रिपोर्ट न आए, तब तक आइसोलेट रहें। लक्षण के आधार पर डाक्टर से परामर्श लेकर दवाएं चालू करें। जीआर मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के डा.मनीष शर्मा का कहना है कि यदि किसी को बुखार नहीं और ऑक्सीजन लेवल ठीक है, गले में हल्की खराश है तो वह व्यक्ति साधारण विटामिन व एंटीएलर्जिक कफ सिरप ले सकता है। यदि किसी को हल्का बुखार व कमजोरी महसूस करता है तो पैरासीटामोल दवा का प्रयोग कर सकता है। यदि इससे अधिक कोई लक्षण है तो डाक्टर के परामर्श पर ही एंजीबायटिक दवा का प्रयोग करे, जैसे एजीथ्रोमइसिन आदि।

जांच रिपोर्ट के भरोसे न रहेंः देखने में आया है कि जांच रिपोर्ट कुछ लोगों की निगेटिव आ रही है, पर उन्हें कोविड के लक्षण होते हैं। ऐसे में व्यक्ति बिना देर किए डाक्टर से परामर्श कर अपना इलाज घर पर ही चालू करे। ऐसे दो मामले जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई पर लंग्स संक्रमण पाया गया। थाटीपुर के 45 वर्षीय चार्टड अकाउंटेंट का कहना है कि उन्होंने कोविड की तीन बार जांच कराई। तीनों बार रिपोर्ट निगेटिव आई, पर उन्हें सांस लेने की परेशानी बढ़ती गई, तब अस्पताल में भर्ती होकर सीटी स्केन कराया, तो लंग्स संक्रमण पाया गया। उसका इलाज लिया और अब ठीक हैं। वहीं सिटी सेंटर के 38 वर्षीय युवक का कहना है कि आरटीपीसीआर की जांच निगेटिव आई, पर उन्हें लक्षण के रूप में बुखार, खांसी, जुकाम की शिकायत थी व सांस लेने में भी हल्की परेशानी आ रही थी। तब उन्होंने सीटी स्केन कराया तो लंग्स में संक्रमण पाया और रैपिड जांच में संक्रमित बताए गए। डाक्टर के परामर्श से घर पर इलाज लिया, अब ठीक हैं।

ऑक्सीजन लेवल बढ़ाएंः डा.मनीष शर्मा का कहना है कि यदि किसी का ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे आता है तो वह अस्पताल में भर्ती हो, पर यदि रिपोर्ट नहीं आई या फिर निगेटिव है, तो ऐसे में शहर में बेड मिलना मुश्किल भरी बात है। तब ऐसे में व्यक्ति प्रोन पॉजिशन करे (20 मिनट छाती के बल लेटे, फिर इतने समय ही दांयी व बायीं करवट लेटकर ऑक्सीजन लेवल बढ़ा सकता या फिर मेंटेंन कर सकते हैं), नेबुलाइजर का प्रयोग करें, पीठ थपथपाएं, भांप लें। इसके साथ ही विटामिन सी, जिंक और मल्टी विटामिन का सेवन करें।

वर्जन-

हर दिन से 250 से 300 सैंपल जांच के लिए आ रहे हैं। नोयडा में सॉफ्टवेयर में परेशानी के चलते पिछले पांच दिन से जांच रिपोर्ट जारी नहीं हो पा रहीं। इससे परेशानी खड़ी हो गई है।

सुरेखा शर्मा, प्रभारी पैथकाइंड लैब, ग्वालियर