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ढाई साल में दूसरी बार भाजपा राज तय, पार्टी आज ही पेश कर सकती है दावा

मुंबई/नई दिल्ली: शिवसेना विधायकों की बगावत से शुरू महाराष्ट्र के सियासी नाटक का बुधवार रात पटाक्षेप हो गया। साढ़े 3 घंटे सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 30 जून का बहुमत परीक्षण होगा। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कुछ देर बाद उद्धव ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर अपनों से मिली पीड़ा जताई और सीएम पद और विधान परिषद सदस्यता छोड़ने का ऐलान कर दिया।यह शिवसेना के इतिहास की सबसे बड़ी बगावतएकनाथ शिंदे की अगुआई में हुई जिस बगावत ने उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया, वह पार्टी के 56 साल के इति‍हास की चौथी लेकिन सबसे बड़ी बगावत है। इससे पहले की तीनों बगावत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के सामने हुई थीं।1991 में छगन भुजबल ने शिवसेना के 18 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ी। 12 उसी दिन पार्टी में लौट आए।2005 में नारायण राणे कांग्रेस में चले गए। बाद में राणे भाजपा में शामिल हुए और अभी केंद्रीय मंत्री हैं।2006 में राज ठाकरे ने श‍िवसेना छोड़ मनसे बनाई। 2009 में महाराष्ट्र विधानसभा की 13 सीटें जीतीं।2022 में ठाणे से 4 बार के विधायक शिंदे की अगुवाई में बगावत के बाद ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा।भाजपा आज पेश कर सकती है सरकार का दावाउद्धव के इस्तीफे के बाद मुंबई के होटल में भाजपा और निर्दलीय विधायकों के साथ मौजूद फडणवीस और प्रदेश भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने एक-दूसरे काे मिठाई खिलाकर खुशी मनाई। गुरुवार को भाजपा फडणवीस के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी (106) होने के चलते सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।इससे पहले भाजपा और शिंदे गुट के 39 शिवसेना और 11 निर्दलीय विधायकों की बैठक भी हो सकती है। बहुमत के लिए 144 विधायक चाहिए। भाजपा को 156 विधायकों का समर्थन है। फडणवीस 1 जुलाई को शपथ ले सकते हैं।तब फंसा था पेंच, फडणवीस ने अब हिसाब बराबर कियाभाजपा-शिवसेना ने 2019 में साथ चुनाव लड़ा। पूर्ण बहुमत मिला, पर सीएम पर पेंच फंसा। शिवसेना ने ढाई साल के लिए सीएम पद मांगा। बात नहीं बनी। 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा, जो 23 को रातों-रात हटाया। फडणवीस ने NCP के अजित पवार संग सरकार बनाई। तीसरे ही दिन इस्तीफा। अब भाजपा ने हिसाब बराबर किया।विश्वास परीक्षण की नौबत आने पर व्हिप का पेंच कायमबहुमत परीक्षण में व्हिप का पेंच फंसेगा। शिंदे असली शिवसेना का दावा कर रहे हैं। डिप्टी स्पीकर ने उसे खारिज किया है। उद्धव की ओर से अयोग्यता नोटिस पर 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।औरंगाबाद, उस्मानाबाद जिलों के नाम बदलने को मंजूरीबुधवार दोपहर उद्धव के नेतृत्व में हुई महाराष्ट्र कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद जिले का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद जिले का धाराशिव करने को मंजूरी दी गई। यह शिवसेना की पुरानी मांग थी।‌नौ दिन की बगावत में फ्लोर टेस्ट से पहले मैदान छोड़ा21 जून की रात एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना विधायक पहले गुजरात के सूरत, फिर असम में गुवाहाटी पहुंचे। बागी गुट में 39 शिवसेना के, 11 निर्दलीय विधायक जुड़े। उद्धव की अयोग्यता की धमकी और भावनात्मक संदेश काम नहीं आया। मातोश्री की किंगमेकर की परंपरा तोड़ सीएम बने उद्धव को नौ दिन की बगावत के चलते 946 दिन में पद छोड़ना पड़ा।