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दिल्ली में सभी कक्षाओं के लिए स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की सिफारिश

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने की सिफारिश की है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बुधवार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, समिति ने अनुशंसा की है कि स्कूलों को सभी कक्षाओं के लिए फिर से खोला जाना चाहिए लेकिन पहले चरण में वरिष्ठ कक्षाओं के विद्यार्थियों को बुलाया जाए और उसके बाद मध्यम कक्षा के विद्यार्थियों को और अंत में प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोलना चाहती है लेकिन विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कारकों का मूल्यांकन कर रही है।

सितंबर के पहले सप्ताह से फिर से खोले जा सकते हैं स्कूल
एक सूत्र ने कहा, “समिति ने आज अपनी रिपोर्ट सौंपी है। अनुशंसाओं में सभी कक्षाओं के लिए स्कूलों को फिर से खोला जाना शामिल है लेकिन चरणबद्ध तरीके से। रिपोर्ट का विस्तार से अध्ययन किया जाएगा और इस संबंध में अंतिम फैसला जल्द लिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि पैनल ने सुझाव दिया है कि वरिष्ठ कक्षाओं के लिए स्कूल सितंबर के पहले सप्ताह से फिर से खोले जा सकते हैं। समिति ने यह भी कहा है कि इच्छुक माता-पिता के पास अपने बच्चे को स्कूल भेजने का विकल्प होना चाहिए और अन्य छात्र ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प चुन सकते हैं। डीडीएमए समिति की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, “स्कूलों को फिर से खोलने वाले राज्यों का मिलाजुला अनुभव रहा है। हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।” उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोल दिया जाए लेकिन हम विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते।

कम से कम 90 प्रतिशत माता-पिता स्कूल खोलने के पक्ष में
हम जल्द ही फैसला लेंगे।” वर्तमान में, कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं के विद्यार्थी माता-पिता की सहमति से प्रवेश और बोर्ड-परीक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए स्कूलों जा सकते हैं। यह कहते हुए कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को फिर से खोलने में कोई नुकसान नहीं है, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने छह अगस्त को अधिकारियों से विशेषज्ञ समिति गठित कर विस्तृत योजना तैयार करने को कहा था। समिति का गठन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा बैजल की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीडीएमए को यह बताए जाने के बाद किया गया था कि 19 जुलाई से 31 जुलाई के बीच सरकारी स्कूलों में हुई अभिभावक-शिक्षक महाबैठक (पीटीएम) में शामिल हुए कम से कम 90 प्रतिशत माता-पिता ने स्कूलों को फिर से खोलने के पक्ष में मत दिया ।

स्कूल बंद होने से शिक्षा का बड़ा नुकसान
सिसोदिया ने बैठक में यह भी कहा था कि एक साल से अधिक समय से स्कूल बंद होने से शिक्षा का बड़ा नुकसान हुआ है। समिति को विस्तृत मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप देने, स्कूलों की तैयारियों का आकलन करने, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के टीकाकरण और माता-पिता की चिंताओं को दूर करने का काम सौंपा गया था। पिछले साल मार्च में कोरोनवायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन से पहले ही राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया था। कई राज्यों ने पिछले साल अक्टूबर में स्कूलों को आंशिक रूप से फिर से खोलना शुरू कर दिया था वहीं दिल्ली सरकार ने इस साल जनवरी में केवल 9 से 12 वीं तक के छात्रों के लिए नियमित कक्षाओं की अनुमति दी थी। लेकिन महामारी की दूसरी लहर के दौरान मामलों में तेजी से वृद्धि के बाद फिर से कक्षाओं को स्थगित कर दिया गया था।