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निहाल हुआ ननिहाल, चंद्रखुरी में कौशल्या माता मंदिर का सीएम भूपेश ने किया लोकार्पण

रायपुर। सुखद संयोग रहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को शारदीय नवरात्र के पहले दिन भगवान श्रीराम के ननिहाल चंद्रखुरी स्थित विश्व के एकमात्र कौशल्या माता मंदिर में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के प्रथम चरण का लोकार्पण किया। आठवीं-नौंवी सदी में निर्मित कौशल्या माता के इस मंदिर का जीर्णोद्धार राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास परियोजना के अंतर्गत किया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर प्रभु श्रीराम की नवनिर्मित 51 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा यहां मुख्य आकर्षण होगी। तय योजना के तहत छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने परिपथ के लिए 75 स्थलों को चिह्नित किया है।

प्रथम चरण में नौ स्थलों को विकसित किया जा रहा है। उत्तरी छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला स्थित सीतामढ़ी हरचौका से शुरू होकर दक्षिणी छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला स्थित कोंटा तक विस्तारित 2,260 किलोमीटर का यह परिपथ आस्था और विश्वास के साथ प्रदेश के पर्यटन विकास के लिए अनंत संभावनाएं सृजित कर रहा है। देश-विदेश के सैलानियों के लिए प्रदेश का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक-सांस्कृतिक परंपरा हमेशा आकर्षण का विषय रहे हैं।

भगवान श्री राम ने वनवास काल का अधिकांश समय दक्षिण कौशल और दंडकारण्य में गुजारा। प्रदेश सरकार की योजना देश-विदेश के पर्यटकों के साथ-साथ नई पीढ़ी को उन्हीं दर्शनीय स्थलों से जोड़ने की है। प्रदेश में मैनपाट के उलटा पानी और दलदली से लेकर चित्रकोट के जलप्रपात ऐसे दर्शनीय स्थल हैं, जहां सुविधाओं का विकास हो तो बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री की स्पष्ट सोच है कि सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक समृद्धि के काफी अवसर हैं।

इसके लिए ढांचागत सुविधाओं के विकास के साथ-साथ प्रशिक्षित मानव संसाधन जरूरी है। हवाई के साथ-साथ सड़क मार्गों को ठीक करना होगा तथा पर्यटकों के ठहरने के लिए अच्छे प्रबंध करने होंगे। परिवहन के साधनों के साथ-साथ देसी धार्मिक पर्यटकों के लिए धर्मशाला जैसी पुरानी व्यवस्था को भी पुनर्जीवित करने की जरूरत होगी। प्रदेश के शिक्षण संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन तैयार करें। सक्षम पर्यटकों के लिए योग्य टूरिस्ट गाइड की जरूरत होगी, जो वन गमन क्षेत्र की विशिष्टताओं को बारीकी के साथ समझा सकें।

प्रदेश में धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहर पर्यटन की असीम संभावनाएं निर्मित कर रहे हैं। राज्य सरकार ने इसे समझते हुए धार्मिक पर्यटन, वेलनेस पर्यटन, वाटर पर्यटन, एडवेंचर पर्यटन, एग्रो पर्यटन और फिल्म पर्यटन के लिए कार्य-योजना तैयार की है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 13 स्थानों पर ट्राइबल टूरिज्म सर्किट विकसित किए जा रहे हैं।

जरूरत है कि सरकार की घोषणाओं को जमीनी सच्चाई में परिवर्तित करने के लिए संबंधित लोग पूरी जिम्मेदारी का निर्वाह करें। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दृष्टिकोण स्पष्ट है। उसे सफल बनाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है।