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इलाज में देरी पड़ रही कोरोना मरीजों की जिंदगी पर भारी

रायपुर। राजधानी में तीन से चार दिनों से कोरोना के सक्रिय केसों में कमी देखी जा रही। मौत के आंकड़े अब भी कम नहीं हो रहे हैं। इलाज में देरी कहीं न कहीं इस बार कोरोना मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। शुरुआत में मरीज देरी कर रहे। अस्पताल में पहुंचने के बाद उन्हें समय पर ऑक्सीजन और बेड व आखिर में वेटिंलेटर नहीं मिल पा रहा है।

यह कुछ ऐसे उदाहरण है जो बता रहे हैं कि बेहतर इलाज में देरी जिंदगी पर भारी पड़ रही है। कोरोना के नए स्ट्रैन के कारण 30 से 40 आयु वर्ग के युवाओं की मौत भी ज्यादा हो रही है। इसकी बड़ी वजह यही है कि वे यह मान लेते हैं कि कम उम्र होने के कारण उन्हें कुछ नहीं होगा।

लेकिन फेफड़ों में संक्रमण के कारण निमोनिया हो रहा है और दो से तीन दिन में मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहा है। डाॅक्टरों का कहना है कि नए स्ट्रैन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। तीन.चार दिन की देरी के कारण संक्रमण फेफड़ों में पहुंच जाता है। जिसे कंट्रोल करना आसान नहीं होता है

केस एक: दो दिन पहले 33 साल के रावांभाठा निवासी एक युवक की एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। वह आठ दिन से कोरोना से पीड़ित था, लेकिन घर में अन्य सदस्यों को भी कोरोना था। इस दौरान वह उनके इलाज के प्रबंध में लगा रहा। खुद की तबीयत का ध्यान नहीं रखा। फेफड़ों में संक्रमण 60 फीसद हो चुका था। जब तक पता चला तक संक्रमण तेजी से फैल चुका था डॉक्टर उसे बचा नहीं सके।

केस दो : 40 वर्षीय गुढियारी निवासी की गुरुवार को मौत हो गई। वह एक दवा दुकान में काम करता था। बुखार और सर्दी जुकाम को सामान्य समझा, आठ दिन बाद सांस लेने में तकलीफ हुई तो डाक्टर की सलाह पर चेस्ट स्कैन कराया। संक्रमण 40 फीसद तक जा पहुंचा। इसके बाद आंबेडकर अस्पताल लेकर गए जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

केस तीन: परिवार के छह लोग संक्रमित होने के कारण उसके इलाज की चिंता में कॉलेज की पढ़ाई कर कर रहे छात्र ने खुद पर ध्यान नहीं दिया। सिलेंडर, दवा के इंतजाम में भाग-दौड़ की। अब संक्रमण के कारण उसकी स्थिति गंभीर है।

लक्षण दिखे तो देरी न करें

– बुखार, सिर दर्द और दस्त के लक्षण हो तो जांच में देरी न करें।

– रिपोर्ट आने में देरी हो तो डाॅक्टर की सलाह लेकर गोलियों का सेवन शुरू कर देना चाहिए।

– चेस्ट स्कैन में जल्दबाजी न करें। शुरुआत में संक्रमण नहीं होने पर रोगी बीमारी को हल्के में लेने लगता है।

– तबीयत ठीक लगने पर बीच में ही दवाओं के डोज न छोड़ें। कई बार दवाई पूरी नहीं लेने के कारण फिर बुखार आने लगता है।

– रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद भांप और गर्म पानी का सेवन करें।

14 दिन तक इलाज के प्रोटोकाल को पूरा करें

‘लक्षण के बाद रोगी जांच कराने को लेकर तो अब जागरुक हो गए हैं, लेकिन दो-तीन बार दवा लेने के बाद बीमारी को हल्के में ले लेते हैं और अन्य स्वजनों के इलाज में व्यस्त हो जाते हैं। कम गंभीर होने के बावजूद 14 दिन तक इलाज के प्रोटोकाल को पूरा करें। – डाॅ. आरएल खरे, मेडिसिन विभाग, आंबेडकर अस्पताल