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नेपाल में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का एकीकरण रद, कट्टेल को सौंपी इसकी कमान

काठमांडू। नेपाल की सियासत में नया मोड़ आ गया है। देश की सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को अपने अप्रत्याशित फैसले में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के धड़ों के एकीकरण को रद कर दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दोनों ही धड़ों को दो अलग-अलग दलों में विभाजित होने का रास्‍ता खोल दिया है। मालूम हो कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (Communist Party of Nepal, Unified Marxist-Leninist) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (Communist Party of Nepal, Maoist Center) का साल 2018 में विलय हुआ था।

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआइ ने बताया है कि रविवार को न्यायमूर्ति कुमार रेगमी और न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ की पीठ ने इस मामले में बड़ा फैसला फैसला सुनाते हुए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of Nepal) पर वैध अधिकार रिषीराम कत्तेल को सौंप दिया। कत्तेल ने ही ओली और प्रचंड की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के गठन से पहले चुनाव आयोग में इसका पंजीकरण अपने नाम कराया था।

कत्तेल ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का मई 2018 में ओली और प्रचंड के तहत पंजीकरण करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी। नेपाल के सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने अपने फैसले में कहा कि निर्वाचन आयोग में ऐसी किसी नई पार्टी का पंजीकरण नहीं हो सकता जबकी उसके नाम से कोई पार्टी पहले से रजिस्‍टर्ड हो।

नेपाल के सर्वोच्‍च न्यायालय (Nepals Supreme Court) ने कहा कि सीपीएन-यूएएमल और सीपीएन (माओइस्ट-सेंटर) को विलय पूर्व स्थिति में लौटना होगा। हालांकि अदालत ने यह भी कहा कि यदि दोनों पार्टियों को आपस में विलय करना है तो उन्‍हें राजनीतिक दल अधिनियम के तहत निर्वाचन आयोग में आवेदन दाखिल करना चाहिए।

इन दोनों ही धड़ों का नेतृत्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी पुष्प कमल दहल प्रचंड कर रहे थे। इन दोनों नेताओं ने 2017 के आम चुनावों में दोनों पार्टियों के गठबंधन को मिली जीत के बाद मई 2018 में आपस में विलय कर एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया था।

अब दोनों ही दलों की स्थिति 2017 में जीती हुई सीटों के अनुसार हो गई है। 2017 में ओली की पार्टी ने 121 सीटों पर जीत हासिल की थी, प्रचंड की पार्टी ने 53 सीेटें जीती थीं। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट का ऐसे समय में निर्णय आया है, जब दोनों ही धड़े नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी पर चुनाव आयोग में अपना दावा पेश कर रहे हैं। अब दोनों से ही इस दल का नाम छिन गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आपात बैठक बुलाई है।