अफगानिस्तान पर शासन करने के लिए तालिबान ने बनाई 12 सदस्यीय की काउंसिल
काबुल। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने अपने शासन के लिए एक काउंसिल बनाई है। 12 सदस्यीय इस काउंसिल में देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला और तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर को जगह दी गई है। बता दें कि तालिबान ने गत 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से ही नई सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है।
युद्ध प्रभावित इस देश पर शासन के लिए गठित इस परिषद में आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के अलावा तालिबान के कुछ शीर्ष नेताओं को भी शामिल किया गया है। परिषद में जिन लोगों को शामिल किया गया है, उनमें से सात नामों पर मुहर लग गई है। न्यूज एजेंसी स्पुतनिक ने तालिबान के एक करीबी सूत्र के हवाले से यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, ‘अफगानिस्तान पर राष्ट्रपति और अमीरात की जगह 12 सदस्यीय परिषद शासन करेगी
अभी तक जिन नामों पर सहमति बनी है, उनमें अब्दुल गनी बरादर, तालिबान संस्थापक का पुत्र मुल्ला याकूब, हक्कानी नेटवर्क का शीर्ष सदस्य खलील-उर-रहमान, डा. अब्दुल्ला अब्दुल्ला, हामिद करजई, पूर्व गृह मंत्री हनीफ अत्मार और इस्लाम पार्टी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार शामिल हैं।’ परिषद के बाकी पांच सदस्यों की नियुक्ति को लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। हालांकि तालिबान ने इस काउंसिल के गठन पर अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया है।
तालिबान नेता बरादर से मिले सीआइए निदेशक
समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसी सीआइए के निदेशक विलियम बर्न्स को तालिबान नेता से मिलने के लिए काबुल भेजा है। उन्होंने तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की। यह गोपनीय बैठक सोमवार को काबुल में हुई। वाशिंगटन पोस्ट अखबार ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह खबर दी
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद किसी शीर्ष अमेरिकी अधिकारी का यह पहला दौरा है। यह दौरा ऐसे समय हुआ, जब बाइडन ने गत रविवार को कहा था कि वह काबुल एयरपोर्ट से लोगों की निकासी के अभियान की समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। यह समय सीमा 31 अगस्त तक निर्धारित है। बाइडन से ब्रिटेन समेत कई देशों ने समय सीमा बढ़ाने की अपील की है।