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3 मई को अक्षय तृतीया, 50 साल बाद बन रहा है इस दिन ग्रहों का विशेष योग

अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ और मंगलकारी तिथि माना गया है। अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त है यानी इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 03 मई को है। अक्षय तृतीया को अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय का अर्थ होता है ‘जिसका कभी भी क्षय न हो यानी कभी नाश न हो’ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया शुभ कार्य, दान-पुण्य, स्नान,पूजा और तप करने से अक्षय फल की प्राप्ति होता है। अक्षय तृतीया पर सोने के आभूषण खरीदने के खास परंपरा होती है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अगर व्यक्ति सोना खरीदे उससे के जीवन में सदैव माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही व्यक्ति का जीवन सुख और वैभव के साथ बीतता है।

हर वर्ष अक्षय तृतीया के पर्व का बेसब्री से इंतजार होता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया के दिन कई दुर्लभ योग बनने जा रहा है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया पर कितने वर्षों बाद कौन सा शुभ योग बनने जा रहा है और क्या है इसका महत्व…

50 वर्षों बाद ग्रहों का विशेष संयोग

सभी तिथियों में बैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को विशेष तिथि माना गया है। शास्त्रों में अक्षय तृतीया को विशेष अबूझ मुहूर्त कहा गया है। इस विशेष दिन पर शुभ कार्य करने, शुभ खरीदारी करने और दान करने की विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किया गया शुभ कार्य हमेशा सफल होता है। इस बार अक्षय तृतीया का त्योहार रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग में मनाया जाएगा। इसके अलावा मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से मंगल रोहिणी योग का निर्माण होने जा रहा है। वहीं इस अक्षय तृतीया पर दो प्रमुख ग्रह स्वराशि और दो ग्रह अपनी उच्च राशि में मौजूद रहेंगे। इस तरह का संयोग 50 वर्षों के बाद बनने जा रहा है।

03 मई को अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि यानी वृषभ में मौजूद होंगे और सुख और वैभव प्रदाता ग्रह शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होंगे। इसके अलावा शनि देव अपनी स्वराशि कुंभ में और सदैव शुभ फल देने वाले देवगुरु बृहस्पति स्वराशि मीन में विराजमान रहेंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इन चार बड़े ग्रहों का अक्षय तृतीया के दिन अपने अनुकूल स्थिति में होने से अक्षय तृतीया का महत्व काफी बढ़ गया है। इस तरह का शुभ और मंगलकारी संयोग बनने से अक्षय तृतीया पर शुभ खरीदारी करने और माता लक्ष्मी संग भगवान विष्णु की उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।